Rajasthan Pollution: “पराली जलाने पर सख्ती! प्रदूषण रुकेगा या फिर ये कदम भी रह जाएगा कागजी?”

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Rajasthan Pollution

Rajasthan Pollution: सर्दी के दस्तक देते ही न केवल ठंडक बढ़ रही है, बल्कि प्रदूषण भी हवा में घुलने लगा है। देश की राजधानी दिल्ली जहां दम घोंटू वायु गुणवत्ता से जूझ रही है, (Rajasthan Pollution)वहीं राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी स्मॉग की चादर ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। बढ़ते प्रदूषण के इस संकट में एक बड़ा कारण है खेतों में जलाए जाने वाले कृषि अवशेष, जिसे आमतौर पर ‘पराली’ कहा जाता है।

अब राजस्थान सरकार ने इस समस्या पर सख्त रुख अपनाते हुए खेतों में पराली जलाने पर अंकुश लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस कड़ी में पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) और जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नरों को सख्त निर्देश दिए हैं कि यदि उनके क्षेत्र में पराली जलाने के मामले सामने आए, तो संबंधित थानेदार जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

ऐसे में सवाल उठता है, क्या ये कदम वाकई प्रदूषण की समस्या पर अंकुश लगा पाएंगे? या फिर यह भी अन्य प्रयासों की तरह केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएगा? आइए, इस पर गहराई से नज़र डालते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को कृषि अवशेष जलाने पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों में थानाधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के साथ-साथ डीजीपी और मुख्य सचिव को सुपरविजन सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए थे।

पिछले साल शुरू हुई थी कवायद

8 नवंबर 2022 को पुलिस थानों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि उनके क्षेत्रों में कोई व्यक्ति फसल अवशेष न जलाए। अब एक बार फिर यह निर्देश दोहराए गए हैं, जिसके तहत पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी क्षेत्र में कृषि अवशेष जलाए जाते हैं, तो संबंधित थानाधिकारी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

कलेक्टर बना रहे उपखंड स्तरीय कमेटियां

प्रदूषण रोकने के लिए राज्य के सभी जिलों में कलेक्टरों ने उपखंड स्तर पर कमेटियों का गठन शुरू कर दिया है। इन कमेटियों का उद्देश्य कृषि अवशेष जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रभावी कदम उठाना है।

कमेटी से समन्वय करेंगे थानाधिकारी

इन कमेटियों की अध्यक्षता उपखंड अधिकारी करेंगे, जबकि संयोजक सहायक कृषि अधिकारी होंगे। कमेटी में पुलिस उपाधीक्षक, खंड विकास अधिकारी और तहसीलदार जैसे अधिकारी शामिल होंगे। थानाधिकारी इन कमेटियों से समन्वय स्थापित कर यह सुनिश्चित करेंगे कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाए।

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