Jahbar Singh Khara: स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा बुधवार शाम तक हैरिटेज निगम महापौर मुनेश गुर्जर के निलंबन से जुड़ी फाइल का बेसब्री से इंतज़ार करते रहे, लेकिन फाइल की अनुपस्थिति ने सवाल उठाए हैं। इस बीच, स्थानीय निकाय विभाग (DLB ) ने महापौर को एसीबी द्वारा दर्ज मामले के संदर्भ में तीन दिन में अपना पक्ष रखने का नया नोटिस जारी कर दिया है।
क्या हो रही है चुप्पी की तैयारी?
सूत्रों के मुताबिक, उपनिदेशक स्तर पर हुई जांच में महापौर के निलंबन की अनुशंसा की गई है, लेकिन मंत्री खर्रा ने इस प्रक्रिया की जानकारी न मिलने पर नाराजगी जताई है। यह महत्वपूर्ण है कि महापौर ने एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिससे मामला और भी पेचीदा हो गया है।
फाइल का इंतजार: क्या कुछ छिपाया जा रहा है?
मंत्री खर्रा बुधवार दोपहर पाली से जयपुर लौटे, और उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया था कि महापौर प्रकरण से जुड़ी फाइल तुरंत लाए। लेकिन सचिवालय में पहुंचने पर, उन्हें फाइल के लिए काफी समय तक इंतज़ार करना पड़ा। जब उन्होंने अधिकारियों से संपर्क किया, तो नए नोटिस के बारे में जानकारी मिली, जिस पर मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया दी। “क्या पहले नोटिस गलत था?” उन्होंने सवाल उठाया।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया: क्या स्थिति सच में सामान्य है?
स्थानीय निकाय विभाग के प्रमुख सचिव राजेश कुमार यादव ने कहा, “उपनिदेशक ने जांच कर रिपोर्ट दी है, और अधिनियम के तहत निदेशक स्तर पर सुनवाई का अंतिम मौका देना जरूरी है।”
हालांकि, मंत्री खर्रा ने यह स्पष्ट किया कि अगर शाम तक फाइल नहीं आई, तो वह अधिकारियों से और जानकारी लेंगे। क्या यह मामला महापौर के निलंबन से कहीं अधिक गंभीर है? क्या इसमें राजनीति की गहरी चालें चल रही हैं?
जैसे-जैसे मामले की परतें खुलती हैं, यह देखना होगा कि क्या मुनेश गुर्जर का निलंबन एक साजिश का हिस्सा है या सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया। समय के साथ, इस रहस्य से पर्दा उठेगा।