महादयी नदी बनी राजनीतिक रणभूमि! दो राज्यों की सरकारें आमने-सामने, अगला कदम क्या होगा?

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Mahadayi River Dispute

Mahadayi River Dispute: कर्नाटक और गोवा के बीच महादयी नदी (Mahadayi River) को लेकर दशकों पुराना विवाद एक बार फिर गरमा गया है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) के बयान के बाद इस विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। (Mahadayi River Dispute) सावंत ने  विधानसभा में स्पष्ट किया कि गोवा सरकार महादयी नदी के जल को मोड़ने की किसी भी गतिविधि को स्वीकार नहीं करेगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की जाएगी।

सिद्धारमैया का तीखा पलटवार – “कर्नाटक का अपमान”

गोवा सीएम के इस बयान पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सावंत का बयान कर्नाटक की जनता का अपमान है। उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए पूछा, “बीजेपी की सरकार संघवाद को क्या इसी तरह चलाती है? क्या कन्नड़ जनता को बीजेपी के सामने न झुकने की सजा दी जा रही है?”

सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि केंद्र की चुप्पी और बीजेपी की खामोशी से यह साबित होता है कि कर्नाटक के हितों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी सरकार इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।

महादयी नदी विवाद: क्या है पूरा मामला?

महादयी नदी 77 किलोमीटर लंबी है, जिसमें से 52 किलोमीटर हिस्सा गोवा में जबकि 29 किलोमीटर कर्नाटक में बहता है। इसका उद्गम कर्नाटक के बेलगावी जिले में होता है। कर्नाटक सरकार इस नदी पर कलसा और बंडूरी नामक दो नहरों के जरिए डैम बनाकर पानी को मोड़ने की योजना बना रही है, जिससे राज्य के कई जिलों में पेयजल संकट को दूर किया जा सके।

हालांकि गोवा सरकार का कहना है कि इस परियोजना से गोवा की पारिस्थितिकी और जलस्तर पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। यही वजह है कि इस पर आपत्ति जताई गई है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

सीएम सावंत ने दावा किया है कि केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि कर्नाटक की इस परियोजना को अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस दिशा में कोई प्रयास हुआ तो गोवा सरकार सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की अर्जी दाखिल करेगी।

कर्नाटक की प्रतिक्रिया: यह जीवन रेखा है, सौदेबाजी नहीं

इस पर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा, “महादयी परियोजना हमारे राज्य के बेलगावी, धारवाड़, गडग, बागलकोट जैसे जिलों के 40 लाख से अधिक लोगों की जीवन रेखा है। 2018 में ट्रिब्यूनल ने कर्नाटक को 13.42 टीएमसी पानी आवंटित किया था, बावजूद इसके केंद्र सरकार परियोजना को रोक रही है।”

उन्होंने कहा कि कर्नाटक इस मुद्दे पर कानूनी, राजनीतिक और नैतिक स्तर पर तब तक लड़ता रहेगा जब तक उसे उसका न्यायपूर्ण हिस्सा नहीं मिल जाता।

विवाद की गूंज फिर सुप्रीम कोर्ट तक?

इस नए विवाद के बाद अब दोनों राज्य एक बार फिर न्यायिक लड़ाई की तैयारी में हैं। गोवा जहां सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रहा है, वहीं कर्नाटक इस मामले को जनता की जीवन रेखा बता रहा है। देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या कोई स्थायी समाधान निकल पाता है।

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