कर्नाटक में भाजपा का उभार, कांग्रेस की गिरती लोकप्रियता, 2028 चुनावों में बड़ा राजनीतिक बदलाव

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Karnataka Assembly Election

Karnataka Assembly Election : 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की राजनीति में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जहां पहले कांग्रेस को व्यापक जनसमर्थन मिलता था, वहीं अब वह जनता की नाराजगी का सामना कर रही है। (Karnataka Assembly Election )हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण ने कांग्रेस के असंतोष और भाजपा के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है। यह बदलाव कांग्रेस सरकार की कमजोरियों और भाजपा के प्रति जनता के बढ़ते विश्वास का नतीजा है।

भाजपा की सीटों में बढ़ोतरी की संभावना

सर्वेक्षण में पता चला है कि अगर अभी चुनाव होते हैं तो भाजपा के सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो सकती है। कांग्रेस के दो साल के शासन में वादे पूरे न होने, महंगाई बढ़ने और प्रशासनिक नाकामियों के कारण जनता भाजपा के विकास एजेंडे को प्राथमिकता दे रही है।

वोट शेयर में भाजपा का दबदबा

भाजपा ने कांग्रेस को वोट शेयर के मामले में पीछे छोड़ दिया है। कांग्रेस की योजनाएं जैसे युवा निधि और गृह लक्ष्मी प्रभावी साबित नहीं हुईं, जबकि महंगाई ने मध्यम वर्ग और युवाओं को प्रभावित किया है, जिससे वे भाजपा की ओर बढ़ रहे हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार, 52% से अधिक पुरुष और 49% महिलाएं कांग्रेस से दूरी बना रही हैं। खासकर युवा वर्ग, जिसमें पहली बार वोटर शामिल हैं, भाजपा का समर्थन 56% तक पहुंच गया है। 26-50 आयु वर्ग और ग्रामीण इलाकों में भी भाजपा का प्रभाव बढ़ा है।

मोदी का कर्नाटक में दबदबा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कर्नाटक में भाजपा के समर्थन का मुख्य कारण बनी है। भाजपा समर्थकों में लगभग 74% मोदी को पसंद करते हैं। कांग्रेस और JD(S) के मतदाता आधार में भी मोदी को भारी समर्थन मिल रहा है, जो उनकी व्यापक लोकप्रियता दर्शाता है।

कांग्रेस की जाति आधारित तुष्टिकरण रणनीति अब कारगर नहीं है। पारंपरिक समर्थक समुदाय जैसे कुरुबा, वोक्कालिगा, और मडिगा भाजपा की ओर रुख कर रहे हैं। जाति जनगणना विवाद ने कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचाया है, जबकि भाजपा ने विभिन्न समुदायों की मांगों को स्वीकार कर अपनी पकड़ मजबूत की है।

समाज के विभिन्न वर्ग भाजपा की ओर बढ़े

कामकाजी वर्ग, किसान, शिक्षक, और युवा भाजपा को प्रगति का मार्ग मान रहे हैं। कांग्रेस की कमजोर आर्थिक नीतियों और अधूरी योजनाओं से निराशा बढ़ी है। खासकर किसान भाजपा की किसान समर्थक नीतियों के कारण उसके साथ खड़े हैं। महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों में भी कांग्रेस के प्रति असंतोष बढ़ा है।

कर्नाटक की जनता भाजपा को एक मजबूत, विकास-प्रधान पार्टी के रूप में देख रही है, जबकि कांग्रेस अपने पारंपरिक वोट बैंक और वादों से पिछड़ती जा रही है। भाजपा का नेतृत्व राष्ट्रीय शक्ति, विकास और सम्मान पर केंद्रित है, जो कर्नाटक के मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है। यह बदलाव आगामी 2028 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के दबदबे को और बढ़ावा देने का संकेत देता है।

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