Jaisalmer bus fire: जैसलमेर बस अग्निकांड की त्रासदी ने राजस्थान को स्तब्ध कर दिया है। हादसे में 20 लोगों की मौत हुई, और उनके शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग का काम जारी है। जोधपुर के अस्पतालों और मोर्चरी के बाहर शोक संतप्त परिवार गुस्से में हैं और(Jaisalmer bus fire) सिस्टम की असंवेदनशीलता पर सवाल उठा रहे हैं।
अपने बड़े भाई को खो चुके नितेश चौहान ने कहा, “अस्पताल में कोई जवाब देने वाला नहीं है। डॉक्टर सुबह 11 बजे क्यों आएंगे? हमें नुकसान हुआ है। सिस्टम अपराधियों के लिए तो जाग जाता है, लेकिन आम आदमी के लिए नहीं।” परिवारों ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी तीखा प्रहार किया।
एक अन्य परिजन ने बताया कि उनका प्रियजन दिवाली के लिए घर लौट रहा था। सुबह 6 बजे महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचने के बावजूद डीएनए सैंपलिंग प्रक्रिया दोपहर तक शुरू नहीं हुई, जिससे परिवारों का गुस्सा बढ़ गया।
‘अचानक फोन स्विच ऑफ आने लगा’
एक पीड़ित ने बताया कि उन्हें तब पता चला कि उनका भाई मरा हुआ था जब उसका फोन लगातार स्विच ऑफ आने लगा। वह जैसलमेर से जोधपुर आ रहा था। इस तरह अचानक हुई मौत ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. फतेह सिंह भाटी ने कहा कि डीएनए सीक्वेंसिंग के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। कुछ संवाद की कमी के कारण परिजन परेशान हुए। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द डीएनए जांच कर शव परिजनों को सुपुर्द किए जाएंगे।
शवों की पहचान
जैसलमेर CMHO डॉ. राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि 19 शवों के 21 बोर्न सैंपल जोधपुर भेजे गए हैं, और 9 मृतकों के परिजनों के DNA सैंपल भी भेजे गए हैं। संभव है कि आज देर शाम तक शवों की पहचान हो जाएगी और गुरुवार तक परिजनों को सुपुर्द कर दिए जाएंगे।