धनखड़ का इस्तीफा या सियासी चाल? विपक्ष ने सरकार को घेरा, राज उजागर होने की आहट तेज़

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Jagdeep Dhankhar resignation

Jagdeep Dhankhar resignation: राजनीति अब एक ऐसा खेल बन चुकी है, जहां हर संकट किसी के लिए अवसर बन जाता है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। विपक्ष इस घटनाक्रम को केंद्र सरकार पर निशाना साधने के एक बड़े मौके के रूप में देख रहा है।

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल अब जगदीप धनखड़ को ‘संविधान का रक्षक’ बताने लगे हैं। जबकि कुछ समय पहले तक यही विपक्ष उन्हें ‘सरकार की कठपुतली’ कहता था।(Jagdeep Dhankhar resignation) अब उनकी विदाई को सरकार की असहमति सहन न करने की नीति के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

धनखड़ के इस्तीफे में छिपे हैं कई राजनीतिक राज

धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद आरजेडी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं कि क्या उन्हें मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा? सूत्रों की मानें तो इस घटनाक्रम के पीछे कई अनकहे रहस्य छिपे हैं जो धीरे-धीरे सामने आ सकते हैं।

सूत्र बताते हैं कि विपक्षी गठबंधन INDIA की बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने भाग नहीं लिया। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है जगदीप धनखड़ को लेकर पुरानी नाराज़गी। खबरों की मानें तो टीएमसी उनके खिलाफ महाभियोग लाना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस के दो सांसदों की तकनीकी गलती से यह प्रस्ताव रद्द हो गया।

कांग्रेस की दोहरे महाभियोग प्रस्ताव की रणनीति

कांग्रेस दो महाभियोग प्रस्ताव—एक जस्टिस वर्मा और दूसरा जस्टिस यादव के खिलाफ—लाना चाहती थी। ऐसा बताया जा रहा है कि धनखड़ ने विपक्ष को इस मुद्दे पर समर्थन का संकेत तो दिया, लेकिन ठोस आश्वासन नहीं दिया। यही वह मोड़ था जिसने सरकार को सतर्क कर दिया।

एनडीए की योजना थी कि लोकसभा और राज्यसभा में एक साथ मतदान कर Mahadayi विवाद जैसे मुद्दों पर अपनी पकड़ बनाए रखी जाए। जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में दिखाना था, जिसका क्रेडिट विपक्ष को नहीं दिया जाना था।

टीएमसी अब कांग्रेस पर आरोप लगा रही है कि उसने जानबूझकर महाभियोग प्रस्ताव को विफल किया और एक ऐसे व्यक्ति के साथ खड़ी हो गई जिसे वह वर्षों से ‘सरकारी आदमी’ कहती आ रही थी। इससे विपक्ष में भी दरारें साफ नजर आने लगी हैं।

धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस की रणनीति

धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश, प्रियंका चतुर्वेदी और तेजस्वी यादव ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। विपक्ष का मक़सद अब यह दिखाना है कि बीजेपी किसी भी असहमति को बर्दाश्त नहीं करती। वे सत्यपाल मलिक का उदाहरण देकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या बोलेगा धनखड़? विपक्ष को इंतज़ार

कांग्रेस की रणनीति यह भी है कि अगर धनखड़ भविष्य में सरकार के खिलाफ कुछ बोलते हैं, तो विपक्ष को एक बड़ा राजनीतिक हथियार मिलेगा। हालांकि, सरकार भी इस रणनीति को समझ चुकी है और जवाब देने के लिए तैयार बैठी है।

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