“ईरान पर अमेरिकी हमला, भारत की चुप्पी पर विपक्ष हमलावर….सोनिया से ओवैसी तक उठे सवाल

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US Iran Attack

US Iran Attack: ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध के बीच 22 जून की रात अमेरिका भी युद्ध में कूद पड़ा। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज और इस्फहान को बमबारी से तबाह कर दिया। इसकी जानकारी खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दी।( US Iran Attack) इस हमले को लेकर भारत में विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार ने दो-राष्ट्र सिद्धांत और फिलिस्तीन की स्वतंत्रता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को त्याग दिया है। उन्होंने गाजा और ईरान पर हमलों को लेकर भारत की चुप्पी को नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं पर चोट बताया।

अखिलेश यादव बोले- विदेश नीति भ्रामक

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भारत की विदेश नीति भ्रामक हो गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत उस देश के साथ खड़ा नहीं होगा जिसने संकट में उसका साथ दिया था?

लेफ्ट पार्टियों का अमेरिका पर संयुक्त हमला

पांच वामपंथी दलों – CPI(M), CPI, CPI(ML), RSP, Forward Bloc – ने अमेरिका के हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे संप्रभुता का उल्लंघन और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खिलाफ बताया। उन्होंने चेताया कि इससे वैश्विक अस्थिरता और आर्थिक संकट गहराएगा, खासकर भारत जैसे देशों के लिए।

ओवैसी ने अमेरिकी संविधान का उल्लंघन बताया

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अमेरिका ने कांग्रेस की अनुमति के बिना युद्ध छेड़ा जो उसके संविधान का भी उल्लंघन है।

जेडीयू और आरजेडी ने भी जताई नाराजगी

केसी त्यागी (JDU) ने अमेरिका की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, वहीं मनोज झा (RJD) ने कहा कि यह हमला विश्व शांति के लिए गंभीर खतरा है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है।

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भारत न केवल चुप है बल्कि हमलावर के साथ खड़ा होता दिख रहा है। उन्होंने ओआईसी की भूमिका को भी केवल प्रतीकात्मक बताया।

ईरान के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से की बात

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफोन पर बात कर क्षेत्र की स्थिति की जानकारी दी। पीएम मोदी ने तनाव कम करने और शांति बहाली पर बल दिया।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का बयान

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसी भी संघर्ष का समाधान बातचीत और कूटनीति से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का हमेशा मानना रहा है कि युद्ध कोई हल नहीं है।

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