Public Sector Banks:भारत सरकार बैंकिंग सेक्टर में एक और बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सरकार छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों में मिलाकर एक नया मेगा स्ट्रक्चर बनाने पर विचार कर रही है. नीति आयोग की सिफारिश के बाद इस प्रस्ताव पर तेजी से काम हो रहा है और उम्मीद है कि आने वाले समय में देश के कई छोटे बैंक बड़े (Public Sector Banks)सार्वजनिक बैंकों का हिस्सा बन सकते हैं. इस खबर के बाद बैंक के खाताधारकों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उनके खातों पर इस मर्जर का क्या असर होगा? आइए जानते हैं.
सरकार ऐसा क्यों कर रही है?
सरकार के पीछे प्रमुख कारण हैं:
- छोटे बैंकों पर बढ़ती लागत और प्रतिस्पर्धात्मक दबाव
- एनपीए (Non‑Performing Assets) और खराब आस्तियाँ जो बैंक की स्थिरता घटा रही हैं
- छोटी बैलेंस शीट के कारण पूँजी अभाव और विकास में बाधा
मर्जर से बैंक की पूँजी क्षमता, कर्ज देने की क्षमता और प्रबंधन संरचना मजबूत होने की उम्मीद है। इससे बैंकिंग नेटवर्क का समेकन और संचालन पर लागत कम करने का लक्ष्य भी है।
मर्जर के बाद क्या बदल सकता है?
मर्जर के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हो सकते हैं:
- सकारात्मक: मजबूत बैलेंस शीट, बेहतर क्रेडिट स्कोरिंग, उन्नत डिजिटल सेवाएँ, और बड़े नेटवर्क से बेहतर कस्टमर सर्विस।
- चुनौतियाँ: अस्थायी सर्विस व्यवधान, शाखा समेकन से पहुंच में बदलाव, और ब्रांड‑परिवर्तन से ग्राहकों को अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है।
पहले भी हुआ है मेगा‑मर्जर
स्मरण रहे कि 2017–2020 के बीच सरकार ने पहले भी 10 बैंकों को समेकित कर 4 बड़े सार्वजनिक बैंकों का रूप दिया था। यदि यह नया प्लान लागू होता है तो देश में केवल चार बड़े सरकारी बैंक रह सकते हैं: SBI, PNB, BoB और Canara Bank—जो राष्ट्रीय बैंकिंग परिदृश्य को और अधिक केंद्रीकृत बना देंगे।
खाताधारकों के लिए सुझाव
- बैंक की आधिकारिक सूचनाओं और ईमेल/एसएमएस नोटिफिकेशन पर नज़र रखें।
- IFSC, चेकबुक/पासबुक और नेट‑बैंकिंग से संबंधित किसी भी बदलाव के बारे में बैंक से पुष्टिकरण लें।
- महत्वपूर्ण भुगतान और स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शंस माइग्रेशन से पहले अपडेट कर लें।
- यदि कोई समस्या हो तो बैंक की कस्टमर केयर और नजदीकी शाखा से तुरंत संपर्क करें।
