G7 Summit 2025: इस साल का G7 सम्मेलन कनाडा में 15 जून से 17 जून तक आयोजित किया जाएगा। लेकिन अभी तक कनाडा सरकार की ओर से भारत को कोई आधिकारिक निमंत्रण नहीं मिला है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस सम्मेलन में शामिल होना लगभग असंभव है।
भारत सरकार इस समय कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर सतर्क है। सूत्रों का कहना है कि नई कनाडाई सरकार के दृष्टिकोण को लेकर (G7 Summit 2025)भारत आशंकित है। खालिस्तान आंदोलन से जुड़ी घटनाएं भारत के लिए एक संवेदनशील विषय हैं, जिसके चलते पीएम मोदी की कनाडा यात्रा की संभावना नहीं के बराबर है।
किन देशों को मिला है G7 का निमंत्रण?
अब तक जिन देशों को G7 सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है, उनकी आधिकारिक सूची जारी नहीं की गई है। हालांकि कनाडाई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया, यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील को निमंत्रण भेजा गया है।
अगर प्रधानमंत्री मोदी इस बार सम्मेलन में नहीं जाते, तो यह पिछले छह वर्षों में पहली बार होगा जब वह G7 में शामिल नहीं होंगे। 2019 में फ्रांस द्वारा उन्हें आमंत्रित किया गया था और तब से वह हर वर्ष इसमें भाग लेते आए हैं।
सिख अलगाववादियों का पीएम मोदी के खिलाफ विरोध
हाल ही में सिख अलगाववादी संगठनों ने कनाडा की सरकार से मांग की थी कि प्रधानमंत्री मोदी को G7 सम्मेलन में आमंत्रित न किया जाए। उनका आरोप है कि भारत सरकार खालिस्तान समर्थक नेता हर्दीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में सहयोग नहीं कर रही।
पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी भारत पर आरोप लगाए थे कि वह इस हत्या में शामिल हो सकता है, लेकिन उन्होंने कोई ठोस साक्ष्य सार्वजनिक नहीं किए। भारत सरकार ने कई बार इस मामले में प्रमाण मांगे हैं, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिले हैं।
कनाडा की नई सरकार की नरमी, लेकिन संकट बरकरार
नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने भारत के साथ व्यापारिक संबंध सुधारने की बात जरूर कही है। उनका कहना है कि कनाडा भारत के साथ संबंध बिगाड़ने का इच्छुक नहीं है। हालांकि, खालिस्तान से जुड़ी गतिविधियां अब भी भारत-कनाडा संबंधों में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई हैं। ऐसे में G7 सम्मेलन में भारत की गैर-मौजूदगी दोनों देशों के रिश्तों में आई दरार को और गहरा कर सकती है।