आदिवासी समाज का विरोध और धरना
मौत की खबर मिलते ही परिजन और आदिवासी समाज के लोग आक्रोशित हो गए और न्याय की मांग करते हुए कलेक्ट्रेट के बाहर धरने पर बैठ गए। यह विरोध प्रदर्शन लगातार तीसरे दिन भी जारी है। परिजनों ने मृतक के शव का पोस्टमार्टम करवाने से इंकार कर दिया है जब तक मांगे नहीं मानी जातीं।
सुबह 3 बजे तक चली बातचीत, नहीं बनी सहमति
बुधवार तड़के सुबह 3:30 बजे तक प्रशासन और आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन 1 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग पर सहमति नहीं बन पाई। रात 2 बजे प्रभारी मंत्री बाबूलाल खराड़ी और सांसद मन्नालाल रावत बैठक से रवाना हो गए, जबकि कलेक्टर अंकित कुमार और एसपी मनीष कुमार समझौते के प्रयास में डटे रहे।
चार प्रमुख मांगें
- आरोपी पुलिसकर्मियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
- आरोपी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।
- मृतक के परिजनों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
- परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
प्रशासन ने पुलिसकर्मियों को निलंबित करने और संविदा नौकरी देने की बात मानी है, लेकिन 1 करोड़ रुपये की मांग को नकारते हुए अधिकतम 5 लाख रुपये की सहायता देने की बात कही है, जो कि नियमानुसार पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत संभव है।
बीएपी सांसद ने जताई नाराजगी, पोस्टमार्टम से फिर इनकार
बीएपी सांसद राजकुमार रोत और अन्य जनप्रतिनिधियों ने 25 लाख रुपये मुआवजा और संविदा नौकरी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि जब तक उचित आर्थिक सहायता नहीं मिलती, तब तक वे पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे और आंदोलन जारी रहेगा।
प्रशासन की चुनौती
प्रशासन के लिए यह मामला संवेदनशील बन चुका है। लगातार चल रही बातचीत और प्रयासों के बावजूद गतिरोध बना हुआ है। अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही कोई समाधान निकल पाएगा, ताकि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की जा सके और परिजनों को न्याय मिल सके। यह समाचार 1 अक्टूबर 2025 तक की घटनाओं पर आधारित है। आगे की जानकारी और अपडेट के लिए जुड़े रहें।