डोनाल्ड ट्रंप भड़के, बोले….नाइजीरिया में ईसाइयों पर अत्याचार रुके, वरना अमेरिका करेगा कड़ा एक्शन!

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Donald Trump
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाइजीरिया में ईसाई समुदाय पर बढ़ती हिंसा को गंभीरता से लेते हुए सीनेट के दो सांसदों…रिले मूर और टॉम कोल (Donald Trump) से मामले की तुरंत जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। ट्रंप ने कहा है कि यदि आवश्यक हुआ तो अमेरिका उस हिंसा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने पर विचार करेगा।

ट्रंप के आरोप और कार्रवाई की मांग

राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्विटर और सार्वजनिक बयानों में कहा कि नाइजीरिया में ईसाइयों को लक्षित कर के मार दिया जा रहा है और यह “सistematic” प्रकार की हिंसा है। उन्होंने निर्देश दिया कि सीनेट कमेटी के माध्यम से त्वरित जांच करायी जाए और अमेरिका को स्थिति पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। ट्रंप ने यह भी कहा कि यदि नाइजीरियाई सरकार सक्रिय नहीं हुई तो अंतरराष्ट्रीय दबाव और कदम उठाने पर विचार किया जाएगा।

किसने-क्या कहा — हिंसा के आरोप किस पर?

ट्रंप ने हमलों के लिए बोको हराम, ISWAP (Islamic State West Africa Province) और कुछ मामलों में फुलानी उग्रवादियों के नाम लिए। उन्होंने बताया कि एक गांव में हुए आतंकवादी हमले में करीब 20 ईसाइयों की मौत हुई। ट्रंप ने 2024 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि धर्म-आधारित हिंसा में अधिकतर शिकार ईसाई रहे हैं—पर ये आँकड़े और उनके स्रोत सरकारी या स्वतंत्र सूत्रों से सत्यापित होना आवश्यक है।

अमेरिका की भूमिका और संभावित कदम

ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अमेरिका धार्मिक उत्पीड़न और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी सरकारें, मानवाधिकार संगठन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर नाइजीरिया में बढ़ती हिंसा पर कार्रवाई करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने सांसदों से रिपोर्ट मांगी है जिससे आगे की नीतिगत व कूटनीतिक कार्रवाई तय की जा सके।

नाइजीरिया सरकार और स्थानीय परिस्थिति

नाइजीरिया में कुछ क्षेत्रों में लंबे समय से सुरक्षा चुनौतियाँ रहीं हैं — बाओको हराम और ISWAP का आतंकवाद, साथ ही चरवाहों और किसान समुदायों के बीच ज़मीन-जलवायु-जातीय तनावों के कारण हिंसा की घटनाएं होती रही हैं। अमेरिकी दावों के जवाब में नाइजीरिया सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया और स्थानीय प्रशासन की रिपोर्टों पर अभी और जानकारी की प्रतीक्षा है।

मानवीय और कूटनीतिक निहितार्थ

यदि ट्रंप के दावों की स्वतंत्र पुष्टि होती है, तो यह स्थिति नाइजीरिया के भीतर मानवीय संकट का संकेत दे सकती है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक दबाव व सहायता दोनों की माँग बढ़ा सकती है। विशेषज्ञ अक्सर यह कहते आए हैं कि हिंसा के जटिल कारणों (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सुरक्षा) का समाधान बहु-आयामी रणनीतियों से ही संभव है।

आगे क्या होगा?

राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर सीनेट कमेटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद अमेरिका अपनी विदेशनीति, सहायता या दबाव संबंधी निर्णय ले सकता है। साथ ही, नाइजीरिया सरकार, क्षेत्रीय समुदाय और अंतरराष्ट्रीय संगठन स्थिति का मूल्यांकन कर रहे हैं — रिपोर्ट और आधिकारिक बयान आने पर इस खबर में अपडेट किया जाएगा।

 

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