Crisil Report: क्रिसिल के मंथली फूड प्लेट कॉस्ट इंडिकेटर के अनुसार अक्टूबर 2025 में घरेलू वेज थाली की औसत कीमत सालाना आधार पर 17% घटकर ₹27.8 रह गई। इसी तरह नॉनवेज थाली की कीमत भी सालाना 12% सस्ती होकर ₹54.4 पर आ गई है। क्रिसिल ने यह विश्लेषण उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में खाद्य पदार्थों की वर्तमान कीमतों के आधार पर किया है। (Crisil Report)क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि सितंबर 2025 में वेज थाली की औसत कीमत ₹28.1 थी — यानी महीने के आधार पर यह करीब 1% सस्ती हुई। नॉनवेज थाली की अक्टूबर 2025 कीमत सितंबर (₹56.0) की तुलना में भी कम देखी गयी।
क्यों घटीं कीमतें?
रिपोर्ट के अनुसार सब्जियों — विशेषकर टमाटर, आलू, प्याज — और दालों में आई कमी का सीधा असर वेज थाली की कीमतों पर पड़ा है। सालाना आधार पर टमाटर ~40%, आलू ~31%, प्याज ~51% और दालें औसतन ~17% सस्ती हुई हैं। नॉनवेज थाली में कमी का मुख्य कारण चिकन की कीमतों में आई गिरावट (सालाना ~6%) बताई गई है।
एक साल में वेज व नॉनवेज थाली की कीमतें (तालिका)
| महीना | वेज थाली (₹) | नॉनवेज थाली (₹) |
|---|---|---|
| अक्टूबर 2024 | 33.3 | 61.6 |
| नवंबर 2024 | 32.7 | 61.5 |
| दिसंबर 2024 | 31.6 | 63.3 |
| जनवरी 2025 | 28.7 | 60.6 |
| फरवरी 2025 | 27.2 | 57.4 |
| मार्च 2025 | 26.6 | 54.8 |
| अप्रैल 2025 | 26.3 | 53.9 |
| मई 2025 | 26.2 | 52.6 |
| जून 2025 | 27.1 | 54.8 |
| जुलाई 2025 | 28.1 | 53.5 |
| अगस्त 2025 | 29.1 | 54.6 |
| सितंबर 2025 | 28.1 | 56.0 |
| अक्टूबर 2025 | 27.8 | 54.4 |
स्रोत: क्रिसिल
थाली की औसत लागत कैसे कैल्क्युलेट की जाती है?
क्रिसिल चारों भौगोलिक क्षेत्रों (उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम) में खाद्य सामग्री की मौजूदा कीमतों के आधार पर घर पर तैयार की जाने वाली थाली की औसत लागत निकालता है। वेज थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर, आलू), दाल, चावल, दही और सलाद शामिल होते हैं; नॉनवेज थाली में दाल की जगह चिकन शामिल किया जाता है। यह इंडिकेटर घरेलू स्तर पर खाद्य-संबंधी महंगाई का त्वरित संकेत देता है।
क्या मायने रखता है?
थाली-आधारित इंडिकेटर उपभोक्ता-स्तर की खाद्य महंगाई का साफ snapshot देता है — रोजमर्रा की जिंदगी में खाने-पीने की लागत घटने से गरीबी-रोकथाम और उपभोक्ता खर्च पर असर पढ़ सकता है। सब्जियों व चिकन की कीमतों में कमी आम परिवारों के लिए राहत का संकेत है, लेकिन मौसमी उतार-चढ़ाव व सप्लाई-चेन दबावों पर नज़र बनी रहनी चाहिए।

































































