नामांकन वापसी के बाद अंता उपचुनाव में कौन बनेगा किंगमेकर? सस्पेंस बढ़ा, समीकरण बदल गए!

Rajasthan Bye Election
Rajasthan Bye Election : राजस्थान के बाड़मेर जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि सोमवार को समाप्त हो गई। बीजेपी से पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल समेत कुल पाँच प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस लिया,(Rajasthan Bye Election) जिससे अब अंता उपचुनाव में कुल 15 प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में हैं।

किस-किस ने किया नामांकन वापस

अंता उपचुनाव में नामांकन वापस लेने वालों में शामिल हैं:

  • अभय दास जांगीड़
  • सुनीता मीणा
  • रामपाल मेघवाल
  • नरोत्तम पारिक
  • संतोष सुमन

पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल ने शुरू में बीजेपी को चुनौती देते हुए निर्दलीय पर्चा भरा था, लेकिन बाद में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना पर्चा वापस ले लिया। रामपाल मेघवाल और संतोष सुमन ने नामांकन वापसी के बाद भाजपा प्रत्याशी मोरपाल सुमन को समर्थन देने की घोषणा भी की।

मैदान में डटे 15 प्रत्याशी — पूरा नामों की सूची

अंता उपचुनाव में फिलहाल निम्नलिखित 15 प्रत्याशी मैदान में बने हुए हैं:

  1. मोरपाल सुमन — बीजेपी
  2. प्रमोद जैन भाया — कांग्रेस
  3. योगेश कुमार शर्मा — राइट टू विकास पार्टी
  4. राजपाल सिंह शेखावत — परिवर्तन पार्टी
  5. जमील अहमद — निर्दलीय
  6. दिलदार
  7. धरमवीर नेशनरेश (नाम पूरा जाँचना आवश्यक)
  8. रेश कुमार मीणा
  9. नौशाद
  10. पंकज कुमार
  11. पुखराज सोनेल
  12. बंशीलाल
  13. बिलाल खान
  14. मंजूर आलम
  15. नरेश मीणा — निर्दलीय (कांग्रेस बागी)

बागियों के पीछे हटने से बीजेपी को मिली मजबूती

कई बागी उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लेने के बाद बीजेपी को स्थानीय स्तर पर मजबूती मिली है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ का कहना है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पार्टी ने माइक्रो-मैनेजमेंट स्तर तक तैयारी कर ली है और प्रत्येक बूथ पर संगठन की पकड़ मजबूत की जा रही है।

तीन ध्रुव बनते दिख रहे हैं — मैचअप और राजनीतिक अर्थ

अब इस सीट पर मुख्य रूप से तीन ध्रुव बने नजर आते हैं:

  • कांग्रेस — प्रमोद जैन भाया: हाड़ौती क्षेत्र के अनुभवी और कद्दावर नेता।
  • भाजपा — मोरपाल सुमन: संगठन के समर्थन के साथ प्रमुख प्रत्याशी।
  • निर्दलीय — नरेश मीणा: कांग्रेस के बागी नेता, जो मीणा-धाकड़ वोट बैंक और युवा मतदाताओं में अच्छी पकड़ रखते हैं।

विश्लेषक मानते हैं कि नरेश मीणा के निर्दलीय प्रवेश से कांग्रेस के पारंपरिक वोटों में सेंध लग सकती है, जो बीजेपी के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। वहीं, मोरपाल सुमन को बागियों के पीछे हटने से स्थानीय स्तर पर और मजबूती मिली है, लेकिन मुकाबला अभी भी कड़ा रहने की आशंका है।

आगे की राह

अब नामांकन की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद पार्टियों की ओर से चुनाव प्रचार तेज होगा और स्थानीय मुद्दों के साथ जातीय समीकरण, विकास व वोटो की लुभावनी रणनीतियों पर जंग देखने को मिलेगी। अंता विधानसभा उपचुनाव में अगले चरणों में मतदाता जागरूकता, बूथ मैनेजमेंट और गठबंधन समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतिम मतगणना में तीन ध्रुवों के बीच किस तरह की रेखा बनती है और स्थानीय राजनीतिक समीकरण किसे भारी पड़ते हैं।

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