Sawai Madhopur News: सवाईमाधोपुर। रणथंभौर की पावन भूमि पर आयोजित भव्य ज्योतिष महासम्मेलन एवं धर्म संसद में बूंदी स्थित श्री साकेत पंचांग ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान दर्ज कराई। सम्मेलन में ख्यातिप्राप्त ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री को देशभर से आए विद्वानों के बीच विशेष और दुर्लभ सम्मान से अलंकृत किया गया, जिसे पूरे बूंदी अंचल के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। यह आयोजन केवल सम्मान समारोह नहीं रहा, बल्कि ज्योतिष को ( Sawai Madhopur News) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सामाजिक मार्गदर्शन और शास्त्रीय अनुशासन से जोड़ने वाला राष्ट्रीय विमर्श बन गया। विशेषज्ञों ने माना कि ऐसे सम्मेलनों से ज्योतिष की प्रामाणिकता और सामाजिक उपयोगिता को नई दिशा मिलती है।
500 से अधिक विद्वान, 7000 से ज्यादा श्रद्धालु
रणथंभौर रोड स्थित आयोजन स्थल पर देशभर से आए 500 से अधिक ज्योतिषाचार्य, साधु-संत और धर्माचार्य उपस्थित रहे। वहीं, सवाईमाधोपुर एवं आसपास के क्षेत्रों से 7000 से अधिक श्रद्धालु और जिज्ञासु नागरिकों ने ग्रह-नक्षत्र, कुंडली, जीवन-दिशा और धार्मिक प्रश्नों पर विद्वानों से परामर्श लिया। मां कामाक्षा ज्योतिष शोध संस्थान के आचार्य पंडित ताराचंद शास्त्री के अनुसार, कार्यक्रम में राजस्थान सार्वजनिक न्यास मंडल एवं देवस्थान विभाग, राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि एसडी शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
विशिष्ट अतिथियों में एडीएम संजय शर्मा, स्वामी अवधेशाचार्य (गलता पीठ, जयपुर), महंत जगद्गुरु रामानुजाचार्य, रामचंद्राचार्य महाराज (पुष्कर), गुरुदेव जीडी वशिष्ठ, डॉ. नरोत्तम पुजारी (मुख्य पुजारी, श्री सालासर धाम) और जिला प्रमुख सुमन मीणा मंचासीन रहे।
भविष्यवाणी नहीं, समाज-दर्शन
धर्म संसद के दौरान विद्वानों ने एक स्वर में कहा कि ज्योतिष केवल भविष्य बताने की विद्या नहीं, बल्कि मानव जीवन को संतुलन, दिशा और चेतना देने वाला शास्त्रीय विज्ञान है। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का सामाजिक और आध्यात्मिक प्रभाव विषय पर गहन मंथन हुआ।
सम्मान ग्रहण करते हुए ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने पिता पंडित जगदीश प्रसाद शर्मा, गुरुदेव भागीरथ जोशी और गुरुदेव पंडित दीनदयाल शास्त्री को दिया। उन्होंने कहा कि उनकी साधना की आधारशिला गुरु-परंपरा और पितृ संस्कार हैं।
श्री त्रिनेत्र गणपति तंत्र साधक सम्मान
सम्मेलन में अनेक विद्वानों को “ज्योतिष गौरव सम्मान” सहित विभिन्न अलंकरण प्रदान किए गए, लेकिन तंत्र-क्रिया और शास्त्रीय गणना के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान … “श्री त्रिनेत्र गणपति तंत्र साधक सम्मान” …केवल एक ही व्यक्ति को प्रदान किया गया। यह विशिष्ट सम्मान बूंदी के ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री को मिला, जिसने आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना, संतों के आशीर्वचन और प्रसादी वितरण के साथ हुआ। आयोजन ने यह संदेश दिया कि परंपरागत ज्ञान और आधुनिक समाज के बीच सेतु बनाने में ज्योतिष आज भी सशक्त भूमिका निभा सकता है।
































































