Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में लाउडस्पीकर का मुद्दा अब केवल एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति का नया मोर्चा बन चुका है। विधायक अशोक कुमार कोठारी ने इस मुद्दे को उठाकर सत्ता पक्ष को घेरा और कहा कि कई राज्यों में सुप्रीम कोर्ट के (Rajasthan Assembly) दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटा दिए गए हैं, जबकि राजस्थान में अब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है। कोठारी ने सत्ता पक्ष से अपील की कि आमजन की परेशानी को ध्यान में रखते हुए शीघ्र इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
अस्पताल में बिगड़ी व्यवस्थाओं पर आरोप
वहीं, बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य ने लाउडस्पीकर के मुद्दे को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। आचार्य ने न केवल लाउडस्पीकर पर अपना विरोध दर्ज कराया, बल्कि जयपुर के पंडित दीनदयाल चिकित्सालय में भी अव्यवस्था पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अस्पताल में मरीजों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जो कि सरकार की नाकामी को दर्शाता है। उनका कहना था कि सरकार की प्राथमिकताओं में सुधार की आवश्यकता है, और इसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए।
धार्मिक मुद्दे से लेकर अस्पताल की अव्यवस्था तक
विपक्ष ने स्पष्ट रूप से इस मुद्दे को उठाया और सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जनता की समस्याओं को सुलझाने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। विपक्ष के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि लाउडस्पीकर का मुद्दा न केवल धार्मिक विवाद को जन्म दे रहा है, बल्कि यह सार्वजनिक शांति और व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। साथ ही, अस्पतालों में जो अव्यवस्थाएं चल रही हैं, वह स्वास्थ्य सेवाओं की गिरती गुणवत्ता का स्पष्ट संकेत हैं।
संगठनों ने लाउडस्पीकर के खिलाफ मुहिम तेज की
ठनों ने अपनी मुहिम तेज कर दी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि लाउडस्पीकर की आवाज़ को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। इन संगठनों का कहना है कि सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह आम जनता की शांति और स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है।
राजनीतिक हलचल बढ़ी, सरकार और विपक्ष में जंग तेज
जैसे-जैसे यह मुद्दा विधानसभा में गहराता जा रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचल भी तेज हो रही है। सरकार के खिलाफ विपक्ष का आक्रामक रुख और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने से इस मुद्दे पर राजनीति का रंग चढ़ चुका है। विपक्ष अब इस मुद्दे को जनता के बीच उठाने की तैयारी कर रहा है, जबकि सरकार ने इसे हल करने के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है।