ACB सत्यापन के दौरान सामने आए हैरान करने वाले तथ्य, रीडर के पीछे कौन-सी ताकतें काम कर रही थीं?

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ACB Dausa Case

 

ACB Dausa Case: एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने फुलेरा थाना से जुड़ी रिश्वत मांगने की शिकायत पर रीडर हरभान सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें सस्पेंड कर दिया है। जांच के दौरान DSP नवल किशोर मीणा की भूमिका संदिग्ध पाई गई, इसलिए उन्हें दौसा चौकी से (ACB Dausa Case)हटा दिया गया है।

क्या आरोप है?

मामले के अनुसार, फुलेरा थाने के एक कॉन्स्टेबल से रीडर हरभान सिंह ने 10 लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी। जांच में सामने आया कि रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 2 लाख रुपए लिए गए और रीडर ने केस से बाहर निकालने का भरोसा दिया था। पीड़ित कॉन्स्टेबल ने यह शिकायत एसीबी में 12 नवंबर को दर्ज करवाई।

कैसे पकड़ा गया मामला?

डीजी (एसीबी) गोविंद गुप्ता के हवाले से बताया गया कि साइबर क्राइम से जुड़े एक केस के सिलसिले में 2 अक्टूबर को फुलेरा थाना के थानाधिकारी चंद्रप्रकाश और दलाल हैप्पी माथुर को 70 हजार रुपए लेते हुए ट्रैप किया गया था। उसी जांच के तहत एसीबी चौकी दौसा के DSP नवल किशोर मीणा के पास मामला था।

रिश्वत मांगने की बातचीत

एसीबी ने शिकायत की सत्यता के लिए कॉल वेरिफिकेशन कराई। कॉल पर रिकॉर्ड हुई बातचीत में रीडर हरभान सिंह स्पष्ट तौर पर केस से निकालने की गारंटी देने तथा लिखित में भरोसा लेने की बात करता पाया गया। बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:

रीडर हरभान सिंह: “मैं करवाऊँ तुम्हारे काम को 100 परसेंट। लिखित में मेरे से भलई।”

कॉन्स्टेबल का भाई: “अब यार कर सको तो कर लो बात… वापिस तो यार लेके भी क्या फायदा?”

रीडर हरभान सिंह: “मैं तो तैयार हूँ… कोई दिक्कत नहीं है।”

शिकायत पर ट्रैप और रकम लौटाने का सिलसिला

जब रिपोर्ट के बारे में शंका हुई तो रीडर ने कॉमन फ्रेंड के माध्यम से ली गई पहली किस्त 2 लाख रुपए वापस कर दी। हालांकि ACB ने सभी उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर जांच करते हुए रीडर पर रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया और उसे निलंबित कर दिया।

DSP की भूमिका और कार्रवाई

एसीबी ने जांच के दौरान DSP नवल किशोर मीणा की भूमिका संदिग्ध पायी और उन्हें दौसा चौकी से हटा दिया गया। डीआईजी आनंद शर्मा के नेतृत्व में जांच टीम ने मामला रिसीव कर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

  • एसीबी द्वारा संकलित रिकॉर्ड और कॉल-साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किए जाएंगे।
  • रीडर के विरुद्ध ट्रांसफर/निलंबन व आरोप साबित होने पर विभागीय दंडात्मक कार्रवाई संभव है।
  • DSP के हटने के बाद चौकी में नियुक्ति व जांच की अगली स्टेप्स पर प्रशासनिक निर्णय लिया जाएगा।


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