वंदे मातरम् पर PM मोदी के शब्द सुनते ही कांग्रेस अचानक शांत क्यों हो गई? पीछे छिपा कौन-सा डार्क सच?

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PM Modi

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशेष चर्चा शुरू की और इस दौरान वंदे मातरम् के ऐतिहासिक महत्व के साथ ही पुरानी राजनीतिक घटनाओं और दलों के रुख पर तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं। उन्होंने खासकर कांग्रेस और(PM Modi)जवाहरलाल नेहरू के निर्णयों पर कड़े शब्दों में टिप्पणी की। नीचे सदन में प्रधानमंत्री के बयान के प्रमुख अंश दिए जा रहे हैं — पीएम मोदी की 10 बड़ी बातें संक्षेप में:

  1. ऐतिहासिक अवसर: वंदे मातरम् की रचना के 150 साल पूरे होने पर इसे याद करना सौभाग्य का विषय है — हम इतिहास के साक्षी बन रहे हैं।
  2. वंदे मातरम् का अर्थ: यह केवल राजनीतिक नारा नहीं था; यह मातृभूमि को उपनिवेशवाद की बेड़ियों से मुक्त कराने का एक पवित्र उद्घोष था।
  3. कांग्रेस पर आरोप: मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम् के ‘टुकड़े’ किए और तुष्टीकरण की राजनीति अपनाई, जो बाद में देश के विभाजन के लिए भी जिम्मेदार रही।
  4. जिन्ना और नेहरू का संदर्भ: मोदी ने 15 अक्टूबर 1936 में मोहम्मद अली जिन्ना के वंदे मातरम् के खिलाफ नारे और उस समय नेहरू के रुख का जिक्र किया। वे बोले कि नेहरू ने वंदे मातरम् की जाँच शुरू करवाई, बजाय उसके विरोध का करारा जवाब देने के।
  5. आपातकाल का हवाला: जब वंदे मातरम् के 100 साल हुए थे, तब देश आपातकाल के दौर से गुज़र रहा था — पीएम ने आपातकाल को इतिहास का काला अध्याय बताया।
  6. पुनर्स्थापन का मौका: अब वंदे मातरम् की महानता को पुनर्स्थापित करने का अवसर है और इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।
  7. युवा पीढ़ी के साथ साझा करने की अपील: पीएम ने कहा कि वंदे मातरम् के साथ किए गए अन्याय का इतिहास नई पीढ़ी के साथ साझा किया जाना चाहिए।
  8. तुष्टीकरण की सच्चाई: यह कहा गया कि वंदे मातरम् को टुकड़ों में बांटने का निर्णय ‘सामाजिक सद्भाव’ की आड़ में लिया गया, पर असल में यह मुस्लिम लीग के दबाव के सामने झुकाव का परिणाम था।
  9. सुभाष-नेहरू संदर्भ: मोदी ने जिक्र किया कि नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस के सामने भी इस मामले को लेकर चिंता जताई थी, और ‘आनंदमठ’ जैसे संदर्भों पर बहसें हुई थीं।
  10. वंदे मातरम् का पवित्र अर्थ: पीएम ने पुनः कहा कि वंदे मातरम् आजादी की लड़ाई का एक पवित्र नारा था — मातृभूमि को बँधनों से मुक्त कराने की पुकार।

प्रधानमंत्री के इन बयानों के बाद संसद में और बाहर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ जोर पकड़ सकती हैं। विपक्ष के कुछ दलों ने पीएम के बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जबकि कुछ ने वंदे मातरम् के ऐतिहासिक संदर्भों पर विस्तार से बहस की मांग की।

 

 

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