Mahesh Joshi: राजस्थान के पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी (Mahesh Joshi) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जल जीवन मिशन (JJM) में कथित रूप से 979.45 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में गिरफ्तार जोशी को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार सुबह जमानत दे दी।
गिरफ्तारी और हाईकोर्ट की खारिज याचिका
महेश जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 24 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया था। उनकी जमानत याचिका पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी जमानत?
जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने जोशी को जमानत देने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि जोशी लगभग 7 महीने से जेल में हैं और अभी तक ट्रायल शुरू होने की संभावना नहीं है। उनके वकीलों ने तर्क दिया कि सभी सह-अभियुक्तों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, इसलिए समानता के सिद्धांत (Principle of Parity) के आधार पर जोशी को भी जमानत मिलनी चाहिए।
जोशी की दलीलें – ‘रिश्वत नहीं, लोन था’
महेश जोशी के वकीलों ने कहा कि ACB में दर्ज मूल केस में उनका नाम तक नहीं है। ED ने ₹2.01 करोड़ लेने का आरोप लगाया, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं हैं। वकीलों ने बताया कि ₹50 लाख उनके बेटे की फर्म में लोन के तौर पर लिया गया था और यह राशि लौटाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों और तथ्यों पर विचार करते हुए जमानत मंजूर कर दी।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद महेश जोशी के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। दोपहर तक विस्तृत आदेश की कॉपी जेल प्रशासन को मिल सकती है और रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
जल जीवन मिशन घोटाला
यह मामला राजस्थान के जल जीवन मिशन में कथित घोटाले से जुड़ा है। ED का आरोप है कि 979.45 करोड़ रुपये का घोटाला अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से हुआ। महेश जोशी उस समय जलदाय मंत्री थे और उनकी भूमिका संदिग्ध मानी गई थी। इस मामले ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी थी।


































































