आपके भी हैं ये 11 शक्तिशाली कानूनी अधिकार, जिन्हें जानबूझकर छुपाया गया…अब सच आया सामने

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Constitution Day

Constitution Day: संविधान दिवस के अवसर पर जानिए कुछ ऐसे महत्वपूर्ण अधिकार जो आम लोग कम जानते हैं — मुफ्त कानूनी सहायता से लेकर जेल में बंद अंडर-ट्रायल का वोट तक।

भारत की संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को संविधान को अपनाया था और यह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। इसी कारण 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। (Constitution Day)संविधान न केवल नागरिकों को अधिकार देता है, बल्कि उनकी रक्षा भी सुनिश्चित करता है। कई ऐसे अधिकार हैं जो आम लोगों के लिए बेहद उपयोगी हैं पर अक्सर अनजान रहते हैं — नीचे उन प्रमुख अधिकारों का संक्षेप दिया जा रहा है:

1. मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार (Article 39A)

अगर आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं और आपराधिक या नागरिक मुक़दमे में पक्ष चाहते हैं, तो राज्य से मुफ्त वकील की मांग कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संरक्षण को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया है।

2. तुरंत न्याय पाने का अधिकार (Article 21 से जुड़े सिद्धांत)

लंबे समय तक बिना मुक़दमे के जेल में रखा जाना या अनावश्यक देरी अर्टिकल 21 के तहत जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन माना जा सकता है। बेगुनाह रहने पर देर से रिहाई के लिये मुआवज़ा मिल सकता है। गिरफ्तारी के समय 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने और गिरफ्तारी कारण लिखित देने का क़ायदा लागू होता है।

3. मेडिकल जांच का अधिकार

गिरफ़्तारी के बाद शारीरिक परीक्षण और आवश्यक मेडिकल जांच करवाना आपका अधिकार है। पुलिस रजिस्टर में अरेस्ट की एंट्री अनिवार्य होती है; इसका उल्लंघन कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकता है।

4. साइलेंट रहने का अधिकार (Self-incrimination से सुरक्षा)

पूछताछ के दौरान आप चुप रहने का अधिकार रखते हैं — किसी को जबरन बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यह सुरक्षा स्व-अपराधीकरण से संरक्षण के रूप में प्रचलित है।

5. FIR की मुफ्त कॉपी लेने का अधिकार

शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति को FIR की एक मुफ्त कॉपी तुरंत दी जानी चाहिए। अगर प्रशासन से यह मना किया जाए तो मजिस्ट्रेट से शिकायत की जा सकती है।

6. पुलिस थाने में महिलाओं के लिए महिला कांस्टेबल की मौजूदगी

रात 6 बजे के बाद किसी महिला की गिरफ्तारी के समय महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी आवश्यक है; अन्यथा गिरफ्तारी अवैध मानी जा सकती है।

7. सरकारी अस्पताल में आपातकाल में मुफ्त इलाज का अधिकार

इमरजेंसी में किसी सरकारी अस्पताल में भर्ती होने से मना नहीं किया जा सकता — चाहे आधार न हो या कोई अन्य दस्तावेज न हो। मना करने पर अस्पताल/डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं।

8. RTI के तहत अपनी फाइल की कॉपी मांगने का अधिकार

आप अपने बारे में सरकारी विभागों (पुलिस, इनकम टैक्स, पासपोर्ट आदि) से अपनी फाइल की जानकारी/कॉपी आर.टी.आई. के माध्यम से मांग सकते हैं, सिवाय कुछ संवेदनशील मामलों के।

9. जेल में बंद अंडर-ट्रायल कैदी का वोट डालने का अधिकार

जिन कैदियों पर मुक़दमा चल रहा है (अंडर-ट्रायल) वे मतदान प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं; मुक़दूर, अर्थात जो सजा पा चुके हैं, वे वोट नहीं दे सकते।

10. तलाशी के समय गवाह का अधिकार

घरेलू या वाहन तलाशी के दौरान दो स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी चाहिये; बिना गवाह के जब्ती या तलाशी अवैध मानी जा सकती है।

11. महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता का अधिकार

शादीशुदा और तलाकशुदा महिलाओं के अलावा, पांच साल से अधिक समय तक लिव-इन संबंध में रहने वाली महिलाएँ भी पति/साथी से गुजारा भत्ता पाने की हक़दार हो सकती हैं — जिनके लिए कानूनी प्रावधान उपलब्ध हैं, और आवश्यक होने पर उन्हें पति की आय का एक तिहाई गुजारा भत्ते के रूप में मिल सकता है।


कैसे रखें अपने अधिकारों की रक्षा?

  • किसी भी पुलिस कार्रवाई के समय शांत रहें और अपने अधिकारों का विनम्रता से ज्यादातर तरीके से हवाला दें।
  • फौरन कानूनी सलाह लें — यदि संभव हो तो मुफ्त कानूनी सहायता का विकल्प तलाशें।
  • RTI के ज़रिये अपनी फाइल की कॉपी मांगें या संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखें।
  • किसी भी अनैतिक या अवैध व्यवहार की शिकायत मजिस्ट्रेट/मानवाधिकार आयोग/उच्चाधिकारियों से करें।
 

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