Sanatan Renaissance: धर्म सेवक संघ ने 22 नवम्बर 2025 को कामधेनु धाम की घोषणा कर एक व्यापक सांस्कृतिक–आध्यात्मिक पुनर्जागरण की परिकल्पना पेश की—यह धाम सिर्फ पूजा स्थल नहीं, बल्कि जीवन का नया मैनेजमेंट मॉडल होगा। भारत आज एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। स्मृतियों के रूप में न रहकर अपनी प्राचीन ज्योति को फिर से जगाने की आवश्यकता सामने है। (Sanatan Renaissance)22 नवम्बर 2025 को गौ–ऋषि प्रकाश दास जी महाराज की प्रेरणा से राष्ट्रीय धर्म सेवक संघ ने वह संकल्प घोषित किया जो आने वाली पीढ़ियों के आध्यात्मिक- सामाजिक परिदृश्य को बदलने में सक्षम माना जा रहा है—विश्व के प्रथम “कामधेनु धाम” की स्थापना।
कामधेनु धाम — सिर्फ धाम नहीं, सभ्यात्मक पुनर्जागरण
यह धाम केवल पूजा का केंद्र नहीं होगा। यह एक ऐसा सेतु है जो भारत की आत्मा को उसकी मूल धड़कन से जोड़ने का काम करेगा। परिकल्पना में शामिल हैं:
- माता कामधेनु का प्राण-प्रतिष्ठित विग्रह और पीठ-जलाभिषेक के वैदिक अनुष्ठान।
- पूर्णतः वैदिक जीवन-शैली पर आधारित पारिस्थितिक तंत्र और प्रशिक्षण केंद्र।
- गौ माता के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, औषधीय और पर्यावरणीय महत्त्व का ज्ञान-केन्द्र।
संघ का संदेश स्पष्ट है — गौ माता केवल आस्था का स्रोत नहीं, वे करुणा, संतुलन और सतत समृद्धि का जीवंत मॉडल हैं।

‘COW’ का नया अर्थ — Celebration • Opportunity • Wisdom
संघ ने नई पीढ़ी के लिए ‘COW’ का आधुनिक और सकारात्मक अर्थ पेश किया है — Celebration, Opportunity, Wisdom — जिससे भक्ति और विज्ञान का संगम संभव होगा।
धर्म सेवक संघ के सात स्तंभ
संघ ने संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए सात स्पष्ट स्तंभ सुझाए हैं—जो सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर परिवर्तन लाने का प्रयास करेंगे:
- टूटी मूर्तियों का संस्कारित विसर्जन — स्मृति, सम्मान और पवित्रता की पुनर्स्थापना।
- घर-घर में संस्कारों का पुनर्जीवन — स्थिरता, आस्था और चरित्र की नींव मजबूत करना।
- व्रतों और पवित्र तिथियों की महत्ता — मन, आत्मा और ऊर्जा के चक्रों का सम्मान।
- शास्त्र और तीर्थ परंपरा का मार्गदर्शन — युवा पीढ़ी को सरल भाषा में शास्त्रों से जोड़ना।
- गौ सेवा — करुणा और समाज का आधार — पर्यावरण, करुणा और स्थानीय समृद्धि का संयोजन।
- रचनात्मक तरीकों से धर्म का प्रसार — लोगों तक धर्म को आनंदपूर्वक और सहज रूप में पहुँचाना।
- गौ यज्ञ और उनका वैज्ञानिक रहस्य — यज्ञ को केवल धार्मिक क्रिया न मानकर पर्यावरण शुद्धिकरण और सामाजिक संरक्षक के रूप में प्रस्तुत करना।
सनातन धर्म — जीवन प्रबंधन का प्राचीन मॉडल
संघ का तर्क है कि आज की दुनिया जो आधुनिकता स्वीकार कर रही है, वह भारत ने सदियों पहले जी लिया था — चार आश्रम जीवन-चक्र, दिनचर्या के चार प्रहर, उन्नत समय प्रबंधन, और उपवास जैसा Intermittent Fasting का वैदिक स्वरूप।
“जब जड़ें मजबूत हों, तब वृक्ष किसी आँधी से नहीं गिरता।” — धर्म सेवक संघ का मूल संदेश
धर्मांतरण नहीं — पुनर्जागरण
संघ का आशय प्रतिरोध नहीं, बल्कि जागरूकता और ज्ञान पर आधारित है। संस्कृति को बचाने का मार्ग प्रतिरोध नहीं, बोध और गौरव है।
राष्ट्रीय बौद्धिक आंदोलन और आगे का रास्ता
महाराज के आशीर्वाद से संस्थापक सदस्यों — अनुराग शर्मा, अमित सक्सेना और हेमराज टिकमचंद तिवारी — ने मिलकर एक व्यापक सांस्कृतिक-बौद्धिक मुहिम शुरू की है। राजस्थान को विश्व आध्यात्मिक मानचित्र पर उभारने वाली डॉक्यूमेंट्री इसी पहल का प्रथम अध्याय होगी।
संघ की दृष्टि अतीत में लौटने की नहीं—बल्कि अतीत की रोशनी से भविष्य गढ़ने की है। Ancient Wisdom + Modern Innovation = Future Bharat। यह कार्यक्रम नहीं, आंदोलन है; यह प्रचार नहीं, पुनर्जागरण है।
कथ्य और संकल्प
संघ का एक संक्षिप्त मंत्र है: “भारत राष्ट्र नहीं—देवभूमि है।” इसी भाव से संघ का लक्ष्य धर्म को दिनचर्या बनाना है—रस्म नहीं—ताकि युवा धर्म सेवक बनें और भारत न केवल बढ़े बल्कि नेतृत्व करे।
































































