वंदे मातरम्’ को लेकर सियासी संग्राम! दिलावर बोले- यह राष्ट्र की आत्मा है, कांग्रेस बोली- दिखावा

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Rajasthan Politics

Rajasthan Politics: राजस्थान सरकार ने सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों में रोज़ सुबह की सभा के दौरान वंदे मातरम् गाना अनिवार्य करने का आदेश जारी किया है। शिक्षा विभाग ने यह व्यवस्था 15 नवंबर तक सभी संस्थानों में लागू करने के निर्देश दिए हैं। आदेश का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता (Rajasthan Politics)और देशभक्ति की भावना को बढ़ाना बताया गया है, लेकिन विपक्षी कांग्रेस ने इसे असल समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया है।

आदेश की मुख्य बातें

  • शासन ने निर्देश दिए हैं कि सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों में हर सुबह की सभा में वंदे मातरम् गाना अनिवार्य होगा।
  • निगरानी और अनुपालन की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई है।
  • यह व्यवस्था 15 नवंबर तक सभी संस्थानों में लागू कर दी जानी चाहिए।
  • सरकार ने इस साल को देशभक्ति वर्ष घोषित किया है — वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर यह पहल की जा रही है।

कांग्रेस का तीखा बयान

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि देश संविधान से चलता है, किसी व्यक्ति या संगठन की मनमानी से नहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम आगे चलकर अन्य धार्मिक या राजनीतिक आदेशों के लिए रास्ता खोल सकता है।

कांग्रेस OBC प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हरसहाय यादव ने कहा कि सरकार शिक्षा के असली मुद्दों पर मौन है — सरकारी स्कूलों की बदहाल इमारतें, शिक्षकों की कमी और पढ़ाई प्रभावित होना — लेकिन इन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। उनका आरोप है कि सरकार इन गंभीर समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए देशभक्ति के जश्न का सहारा ले रही है।

सरकार का बचाव

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आदेश की रक्षा करते हुए कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं बल्कि भारत की आत्मा है। उन्होंने कहा कि यह फैसला किसी धर्म या मजहब के खिलाफ नहीं है, बल्कि देश के प्रति सम्मान और एकता बढ़ाने की दिशा में है। दिलावर ने स्पष्ट किया कि मदरसों सहित सभी शिक्षण संस्थानों में समान देशभक्ति माहौल तैयार करना इसका उद्देश्य है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर सरकार ने पूरे वर्ष को देशभक्ति वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है।

विपक्ष का कहना है कि शासन की प्राथमिकताएँ शिक्षा सुधारों और बुनियादी ढांचे पर होनी चाहिए न कि प्रतीकात्मक आदेशों पर। सरकार  का कहना है कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक प्रतीकों को मजबूत करने से युवा पीढ़ी में देशभक्ति का संचार होगा।      

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