पड़ोसी देशों की अशांति पर RSS प्रमुख की चौंकाने वाली बात, भारत को है बड़ा खतरा!

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Mohan Bhagwat

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को नागपुर में आयोजित वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए देश-विदेश के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारत के रुख, ट्रंप के टैरिफ और पड़ोसी देशों में हो रहे हिंसक विद्रोहों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे विरोध प्रदर्शन न तो(Mohan Bhagwat)किसी परिणाम तक पहुंचते हैं और न ही देशहित में होते हैं।

विदेशी दखलंदाज़ी के लिए अवसर बनते हैं हिंसक विद्रोह

भागवत ने कहा कि हिंसक विद्रोह और उथल-पुथल किसी का भी लाभ नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये विरोध प्रदर्शन विदेशी शक्तियों को हमारे आंतरिक मामलों में दखल देने का अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने पड़ोसी देशों श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हो रहे सत्ता परिवर्तनों को भारत के लिए चिंता का विषय बताया।

उथल-पुथल से क्रांति नहीं मिलती, लोकतांत्रिक तरीके अपनाएं

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “जब सरकार जनता से दूर हो जाती है और उनकी समस्याओं को समझने में विफल रहती है, तब जनता असंतोष जताती है, लेकिन इसे हिंसक प्रदर्शन के रूप में व्यक्त करना किसी के भी हित में नहीं। बदलाव लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से ही संभव है, न कि लापरवाह या हिंसक तरीके से।”

इतिहास की सीख: हिंसक क्रांतियां अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर पातीं

भागवत ने विश्व इतिहास की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी हिंसक क्रांति ने अपने उद्देश्य को पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया। फ्रांसीसी क्रांति के बाद नेपोलियन का सत्ता में आना और समाजवादी देशों का पूंजीवादी व्यवस्था में बदल जाना इसका उदाहरण हैं।

भारत की विविधता हमारी ताकत

अंत में उन्होंने कहा कि भारत की विविधता उसकी परंपरा है और हमें अपनी विविधताओं को स्वीकार करते हुए देश की एकता को बनाए रखना चाहिए।

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