Jagdeep Dhankhar resignation: मानसून सत्र (Monsoon Session) के पहले दिन ही सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस अप्रत्याशित कदम से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इसके साथ ही नए उपराष्ट्रपति को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह (Harivansh Narayan Singh) का नाम सबसे प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है। (Jagdeep Dhankhar resignation)राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उनकी मुलाकात ने इन अटकलों को और हवा दे दी है।
पत्रकारिता से राजनीति तक: हरिवंश का सफर
हरिवंश सिंह का जन्म 30 जून 1956 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था, जो जयप्रकाश नारायण का भी जन्मस्थान है। हरिवंश ने बीएचयू से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया और पत्रकारिता की शुरुआत टाइम्स ऑफ इंडिया समूह से की। वे धर्मयुग, रविवार, नवभारत टाइम्स, प्रभात खबर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े रहे।
साल 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने हरिवंश को पीएमओ से जुड़ने का प्रस्ताव दिया। वह अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) के रूप में पीएमओ से जुड़े और चंद्रशेखर के पद छोड़ने के बाद पत्रकारिता में लौट आए।
राजनीति में कदम और राज्यसभा उपसभापति पद तक का सफर
जनता दल (यू) ने 2014 में हरिवंश को राज्यसभा के लिए बिहार से नामित किया। 9 अगस्त 2018 को वह पहली बार राज्यसभा के उपसभापति बने। 2020 में वह दोबारा इसी पद के लिए निर्वाचित हुए।
हरिवंश को 1996 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान, 2008 में माधव राव सप्रे पुरस्कार और 2012 में विश्व हिंदी सम्मेलन (जोहांसबर्ग) में हिंदी सेवा के लिए सम्मानित किया गया।
लेखनी का भी प्रभाव
हरिवंश सिंह ने पत्रकारिता के साथ-साथ कई किताबें भी लिखीं हैं, जिनमें ‘मेरी जेल डायरी’, ‘चंद्रशेखर संवाद’ श्रृंखला और 2019 की अंतिम पुस्तक ‘Chandrashekhar: The Last Icon of Ideological Politics’ प्रमुख हैं। अब देखना होगा कि क्या हरिवंश नारायण सिंह उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचने में सफल होते हैं या यह चर्चा केवल अटकलों तक सीमित रह जाती है।