aizawl rail project: भारत की आजादी के 75 साल बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल को पहली बार रेल सेवा मिल रही है। बैराबी-सायरांग रेल प्रोजेक्ट के तहत आइजोल को देश के मुख्य रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया है। इस ऐतिहासिक कदम से नॉर्थ ईस्ट भारत के( aizawl rail project) अन्य राज्यों से बेहतर कनेक्ट हो गया है और म्यांमार बॉर्डर के पास सामरिक अहमियत भी बढ़ गई है।
आइजोल में पहली बार गूंजी रेल की सीटी
उत्तर पूर्व रेलवे के CPRO के.के. शर्मा ने जानकारी दी कि इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से अब असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मिजोरम की राजधानियां भारतीय रेल नेटवर्क से जुड़ चुकी हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे “मिजोरम को भारत के दिलों से जोड़ने वाला प्रोजेक्ट” बताया। इस सेवा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं।
बैराबी-सायरांग रेल प्रोजेक्ट: मिजोरम की नई जीवनरेखा
यह रेललाइन कुल 51 किलोमीटर लंबी है और इसके जरिए आइजोल को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत यात्रा आसान, व्यापार मजबूत और रणनीतिक पहुंच भी बेहतर होगी।
अब तक सड़क मार्ग से असम के सिलचर से आइजोल पहुंचने में 8 से 10 घंटे लगते थे। लेकिन अब इस नई रेललाइन से यह दूरी सिर्फ 3 घंटे में पूरी हो सकेगी। ट्रेनों की रफ्तार 110 किमी/घंटा होगी।
किन स्टेशनों से होकर गुजरेगा रूट?
इस रूट पर बैराबी, कुर्तिकी, कावंपुई, मुलखांग और सायरांग स्टेशन शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट को असली रफ्तार 2014 में भाजपा सरकार के आने के बाद मिली थी। इसमें कुल लागत ₹5,022 करोड़ रही है।
कुतुब मीनार से ऊंचा रेल पुल
प्रोजेक्ट का सबसे ऊंचा पुल ब्रिज नंबर 144 है, जिसकी ऊंचाई 114 मीटर है—जो कि कुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊंचा है। परियोजना में 154 पुल और 48 टनल बनाए गए हैं। यह क्षेत्र भूकंप क्षेत्र ज़ोन-5 में आता है, इसलिए इसे IIT कानपुर और IIT गुवाहाटी की तकनीकी मदद से विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है।
दिल्ली-मुंबई से डायरेक्ट ट्रेन सेवा
इस रूट से अब दिल्ली, गुवाहाटी, कोलकाता जैसे शहरों से आइजोल के लिए सीधी ट्रेन सेवाएं शुरू हो सकेंगी। इससे टूरिज्म, शिक्षा, स्वास्थ्य और सेना की आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही मालवाहन भी तेज और सस्ता होगा, जिससे मिजोरम की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है।