Kashmir Terrorism: पाकिस्तान की सेना ने एक बार फिर भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाज़ी की है। इस बार खुद पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर ने कश्मीर मुद्दे पर न सिर्फ झूठ का सहारा लिया, बल्कि आतंकवाद को ‘वैध संघर्ष’ बताकर उसका खुलकर समर्थन भी किया है।
आतंकवाद नहीं, संघर्ष है: मुनीर का दावा
जनरल मुनीर ने हालिया बयान में कहा कि पाकिस्तान कश्मीर में चल रहे तथाकथित संघर्ष के लिए “राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक समर्थन” जारी रखेगा। उन्होंने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा, “जिसे भारत आतंकवाद कहता है, वह दरअसल एक वैध आजादी की लड़ाई है।”
यही नहीं, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुराने प्रस्तावों का हवाला देते हुए कहा कि “दुनिया को कश्मीर के बिना क्षेत्रीय शांति की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।”
भारत की स्पष्ट नीति: कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा
भारत सरकार कई बार स्पष्ट कर चुकी है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। खासतौर पर 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद इसकी संवैधानिक स्थिति और मजबूत हो चुकी है। भारत ने बार-बार पाकिस्तान को चेताया है कि वह कश्मीर में आतंकवाद फैलाकर क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचा रहा है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और TRF जैसे आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया एजेंसियों से समर्थन मिलने के प्रमाण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सामने आ चुके हैं।
भीतरू संकट से ध्यान भटकाने की पुरानी चाल
जनरल मुनीर का यह बयान उस वक्त आया है जब पाकिस्तान खुद गंभीर आर्थिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। बलूचिस्तान, वजीरिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में आतंकवाद और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। IMF की शर्तों, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता ने आम पाकिस्तानी की जिंदगी मुश्किल बना दी है।
ऐसे में कश्मीर का मुद्दा उठाकर पाक सेना एक बार फिर आंतरिक विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का आधा सच
पाकिस्तान अक्सर यूएनएससी के 1948 प्रस्ताव का हवाला देता है, लेकिन यह नहीं बताता कि उस प्रस्ताव की पहली शर्त यही थी कि पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर से सभी अवैध लड़ाकों और सेना को हटाना था — जो आज तक नहीं किया गया। इसके उलट, पाकिस्तान ने PoK में आतंकी ढांचे को और मज़बूत किया है। आज अधिकांश वैश्विक ताकतें कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला मानती हैं और पाकिस्तान के झूठे दावों को खारिज कर चुकी हैं। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना न केवल उसकी हताशा को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि वह आतंकवाद को कूटनीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन भारत की नीति स्पष्ट है— जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा।