FAO Global Report: एक तरफ भारत है, जो वैश्विक मंच पर खाद्य सुरक्षा में एक अहम भूमिका निभा रहा है। ज़रूरत पड़ने पर भारत दूसरे देशों को अनाज भेजकर मदद करता है। (FAO Global Report)वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की हालत यह है कि उसकी अपनी ही जनता दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है।
FAO ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस 2025 के चौंकाने वाले आंकड़े
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी FAO (Food and Agriculture Organization) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट ने पाकिस्तान के गंभीर खाद्य संकट की तस्वीर दुनिया के सामने रख दी है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के करीब 1.1 करोड़ लोग भुखमरी की स्थिति में हैं। ये आंकड़े उन 68 जिलों से हैं जो बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा जैसे अस्थिर और पिछड़े इलाकों से संबंधित हैं।
17 लाख लोग आपातकाल जैसी स्थिति में
FAO की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान के 1.7 मिलियन यानी 17 लाख नागरिक ऐसे हालात में हैं जहां उन्हें तत्काल मानवीय सहायता की ज़रूरत है। साल 2024 से 2025 के बीच संकटग्रस्त आबादी की संख्या में 38% की बढ़ोतरी हुई है। मौसम की मार, संसाधनों की कमी और कुप्रबंधन ने स्थिति को और भी खराब बना दिया है।
2018 से जारी है कुपोषण का गंभीर संकट
रिपोर्ट में चेताया गया है कि 2018 से पाकिस्तान के कई इलाके लगातार गंभीर कुपोषण की चपेट में हैं। बलूचिस्तान और सिंध में ग्लोबल एक्यूट मालन्यूट्रिशन (GAM) की दर 10% से ऊपर है, और कुछ जिलों में यह 30% से भी अधिक है। सरकार की निष्क्रियता, गरीबी और अविकसित ढांचा इस संकट के प्रमुख कारण हैं।
2.1 मिलियन बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित
मार्च 2023 से जनवरी 2024 के बीच रिपोर्ट में सामने आया कि 2.1 मिलियन बच्चे यानी 21 लाख मासूम गंभीर कुपोषण का शिकार हैं। इन बच्चों को न तो सही पोषण मिल पा रहा है, न पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं और न ही साफ पीने का पानी। सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के ग्रामीण इलाकों में हालत और भी दयनीय हैं।
तुलना नहीं, आत्मनिरीक्षण ज़रूरी
जब भारत आज ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के साथ खाद्यान्न सहायता देकर दूसरों की मदद कर रहा है, वहीं पाकिस्तान की सरकार अपने ही नागरिकों को भरपेट भोजन नहीं दे पा रही है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को भारत से तुलना करने से पहले यह देखना चाहिए कि उनके देश के अंदर कितने लोग भुखमरी की कगार पर हैं। ये आंकड़े दुनिया को बता रहे हैं कि पाकिस्तान एक गहरे मानवीय संकट के मुहाने पर खड़ा है।