पाकिस्तान की मदद में लुटाया खजाना, चीन की अर्थव्यवस्था डगमगाई, अफसरों की चाय-पानी पर भी लगाम!

12
China Economic Crisis

China Economic Crisis: बीजिंग से आ रही ताज़ा खबरों के मुताबिक, चीन सरकार ने देशभर के सरकारी अधिकारियों को फिजूलखर्ची से बचने और हर मोर्चे पर बचत करने के निर्देश दिए हैं। भोजन, यात्रा और दफ्तर के दूसरे खर्चों में अब सख्ती से कटौती की जाएगी। (China Economic Crisis)राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में सरकार पहले से ही कई कड़े कदम उठा चुकी है, लेकिन इस बार का निर्णय चीन की गिरती आर्थिक स्थिति और बढ़ते बजटीय दबाव को सीधे तौर पर दर्शाता है।

खर्चों में कटौती की सख्त हिदायत

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, सरकार ने सभी स्तरों पर प्रशासनिक इकाइयों को निर्देश दिए हैं कि वे कठोर परिश्रम और मितव्ययिता को अपनाएं और गैरज़रूरी खर्चों से बचें। इसका सीधा असर स्टॉक मार्केट पर भी देखा गया – कंज्यूमर स्टेपल्स स्टॉक इंडेक्स सोमवार को 1.4% तक गिर गया, जबकि जानी-मानी कंपनी Kweichow Moutai का शेयर 2.2% लुढ़क गया, जो पिछले छह हफ्तों की सबसे बड़ी गिरावट है।

जमीन बिक्री में गिरावट और बढ़ता कर्ज

चीन की अर्थव्यवस्था पहले जमीन की बिक्री से अच्छी-खासी आमदनी करती थी, लेकिन अब इस आय में भारी गिरावट आई है। साथ ही स्थानीय सरकारों पर कर्ज का बोझ भी लगातार बढ़ रहा है। यही कारण है कि शी जिनपिंग सरकार ने 2023 के अंत में ही संकेत दे दिए थे कि अब हर अधिकारी को ‘बेल्ट टाइट करने’ यानी खर्च सीमित करने की आदत डालनी होगी। यह पहल न केवल सरकारी खर्चों पर लगाम लगाने की कोशिश है, बल्कि देश के वित्तीय अनुशासन को दुरुस्त करने की दिशा में भी एक मजबूत कदम मानी जा रही है।

भ्रष्टाचार और बेतहाशा खर्च पर नजर

शी जिनपिंग की सरकार लंबे समय से सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार और अनावश्यक खर्चों पर सख्ती दिखा रही है। पिछले वर्ष भी बीजिंग ने स्थानीय प्रशासन के बढ़ते कर्ज और उससे उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिए स्पेशल फाइनेंशियल रिफॉर्म्स की शुरुआत की थी। सरकार का मानना है कि खर्चों को कम करके, बचत की नीति अपनाकर और कर्ज को नियंत्रण में रखकर, वे आर्थिक सुस्ती को मात दे सकते हैं।

धीमी हो रही है चीन की आर्थिक रफ्तार

एक समय था जब चीन दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था, लेकिन हाल के वर्षों में हालात बदल गए हैं। रियल एस्टेट सेक्टर की गिरावट, युवा बेरोजगारी, बाहरी निवेश में कमी और उत्पादन मांग में गिरावट जैसी समस्याएं अब अर्थव्यवस्था को अंदर से झकझोर रही हैं। इसी दबाव के चलते अब सरकार को खर्चों की समीक्षा करनी पड़ रही है। अधिकारियों की जीवनशैली और ऑफिस बजट को सबसे पहले सीमित किया जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here