CJI BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई महाराष्ट्र के दौरे पर थे, जहां उन्होंने एक सम्मान समारोह में प्रोटोकॉल की अनदेखी पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल भले ही छोटी बात हो, लेकिन यह एक अनुशासन है और(CJI BR Gavai) इसका पालन होना चाहिए।
न्यायपालिका का सम्मान होना चाहिए
गोवा और महाराष्ट्र बार काउंसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सीजेआई गवई ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि, “लोकतंत्र के तीन स्तंभ – न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका – समान हैं और हर एक को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।” उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति को अनुचित बताया।
“छोटी बातों का भी होता है बड़ा असर”
सीजेआई ने आगे कहा कि, “मैं ऐसी छोटी-छोटी बातों के बारे में नहीं सोचता, पर अगर कोई और होता तो अब तक अनुच्छेद 142 लगा देता।” इस पर वहां मौजूद लोग हंस पड़े और तालियों की गूंज सुनाई दी। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी केवल संविधानिक संस्थाओं के सम्मान की ओर ध्यान खींचने के लिए की गई थी। मुख्य न्यायाधीश ने एक पुराना मामला याद करते हुए बताया कि जब वह सरकारी वकील थे, तब नागपुर कोर्ट ने झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उस आदेश को चुनौती दी और हजारों लोगों को बेघर होने से बचाया।
बुलडोजर एक्शन पर भी बोले सीजेआई
सीजेआई गवई ने कहा कि वही सिद्धांत उन्होंने और जस्टिस विश्वनाथन ने बुलडोजर एक्शन से जुड़े मामलों में भी अपनाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि, “घर सभी का मौलिक अधिकार है। चाहे कोई आरोपी हो या दोषी, कानून के सहारे किसी की छत नहीं छीनी जा सकती।” यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब न्यायपालिका और कार्यपालिका के रिश्तों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सीजेआई की ये टिप्पणी लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थाओं के आपसी सम्मान पर एक गहरी सोच को उजागर करती है।