SOG Team: राजस्थान में सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं में धांधली का एक और बड़ा मामला सामने आया है। वनरक्षक भर्ती-2020 के पेपर लीक मामले में SOG ने मास्टरमाइंड हरीश सहारण उर्फ हीराराम को इंदौर से गिरफ्तार किया है। (SOG Team)बाड़मेर का रहने वाला हरीश पिछले 8 महीने से फरार था, जिसके खिलाफ बांसवाड़ा पुलिस ने ₹25,000 का इनाम घोषित कर रखा था। पेपर लीक के इस खेल में कई सरकारी कर्मचारी और अभ्यर्थी भी शामिल थे।
कैसे हुआ पेपर लीक?
वनरक्षक भर्ती-2020 की परीक्षा 13 नवंबर 2022 को दो पारियों में आयोजित हुई थी। हरीश सहारण बाड़मेर से पेपर लेकर आया था और परीक्षा से दो घंटे पहले कुछ अभ्यर्थियों को एक होटल और एक निजी घर में बुलाकर उत्तर रटवाए गए थे। इस धंधे में हर अभ्यर्थी से 8-8 लाख रुपये वसूले गए। यह सारा खेल डूंगरपुर के JEN अभिमन्यु सिंह चौहान और VDO सकन खड़िया की मदद से चलाया गया।
कैसे खुली पोल?
28 जून 2024 को बांसवाड़ा निवासी प्रवीण मालवीया की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। प्रवीण ने बताया कि पेपर लीक करने की पूरी योजना सकन खड़िया, हरीश सहारण और JEN अभिमन्यु सिंह चौहान ने मिलकर बनाई थी। पूछताछ के बाद कई अन्य नाम भी सामने आए।
साजिश कैसे रची गई?
- पहली पारी का पेपर बांसवाड़ा के होटल ब्लू मून में हल कराया गया।
- दूसरी पारी का पेपर बांसवाड़ा के शास्त्रीनगर स्थित एक घर में हल करवाया गया।
- इस पूरी योजना को VDO सकन खड़िया कोऑर्डिनेट कर रहा था, जिसने सभी अभियार्थियों को पैसे के बदले परीक्षा पास कराने का वादा किया।
किन्हें मिली नौकरी?
इस घोटाले से 5 लोगों को सरकारी नौकरी मिली, जिनमें एक दंपती भी शामिल है:
- सुभाष डिंडोर
- सुखराम डामोर
- निरमा डामोर (सुखराम की पत्नी)
- अन्य दो अभ्यर्थी
सभी ने 8-8 लाख रुपये का भुगतान किया था।
15 आरोपियों के खिलाफ FIR, 11 गिरफ्तार
1 जुलाई 2024 को एडिशनल एसपी धनफूल मीणा ने सज्जनगढ़ थाने में 15 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इनमें वनरक्षक, एजेंट, दंपती और शिक्षक शामिल हैं। अब तक 11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि बाकी फरार हैं।
हरीश सहारण की गिरफ्तारी से क्या होगा?
हरीश सहारण इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड था। उसकी गिरफ्तारी के बाद SOG अब यह जांच कर रही है कि
- इस घोटाले में और कौन-कौन सरकारी अधिकारी शामिल थे?
- किन अन्य अभ्यर्थियों ने पैसे देकर परीक्षा पास की?
- पेपर लीक का यह नेटवर्क सिर्फ वनरक्षक भर्ती तक सीमित था या अन्य परीक्षाओं में भी इसकी जड़ें फैली थीं?
सरकारी भर्तियों पर सवाल, मेहनती युवाओं के सपनों पर चोट
सरकारी नौकरियों के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले लाखों युवाओं के सपनों पर इस तरह के पेपर लीक माफिया लगातार चोट पहुंचा रहे हैं। मेहनत करने वालों को जहां सरकारी नौकरी के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है, वहीं पैसे और पहुंच वाले लोग 8 लाख में पेपर खरीदकर सरकारी कर्मचारी बन जाते हैं। इस पूरे घोटाले के खुलासे के बाद अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन ऐसे पेपर लीक गैंग पर पूरी तरह रोक लगाने में सक्षम है?


































































