Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को स्कूटी वितरण का मुद्दा गरमाया रहा। विपक्ष ने सरकार से सवाल किया कि आखिर छात्राओं को अब तक स्कूटी क्यों नहीं मिली? नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के समय सितंबर में स्कूटी बांट दी गई थी, लेकिन अब महीनों बीत चुके हैं और छात्राएं इंतजार कर रही हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि जिन कारणों से देरी हुई, उन पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं? (Rajasthan Assembly) इस पर उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, विपक्ष इस जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा और सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए।
कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना – क्या कहती है नीति?
राजस्थान सरकार की कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के तहत 12वीं कक्षा में अच्छे अंक लाने वाली छात्राओं को मुफ्त स्कूटी दी जाती है। यह योजना छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से शुरू की गई थी। कॉलेज निदेशालय सत्र 2023-24 की छात्राओं को स्कूटी देने की प्रक्रिया चला रहा है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सत्र 2022-23 की करीब 1,000 छात्राओं को अब तक स्कूटी नहीं दी गई।
छात्राओं के धैर्य की परीक्षा कब तक?
सत्र 2022-23 की कई छात्राएं स्कूटी पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं। वे प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं, कई बार प्रदर्शन भी कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। छात्राओं और उनके परिवारों के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है कि आखिर उन्हें उनकी स्कूटी कब मिलेगी।
सरकार ने खरीदी, रजिस्ट्रेशन हुआ, फिर भी क्यों नहीं बंटी स्कूटी?
यह मामला और गंभीर इसलिए हो जाता है क्योंकि सरकार ने 28 मार्च 2024 को इन स्कूटी की खरीद कर ली थी। 19 मई 2024 को प्रत्येक छात्रा के नाम पर आरटीओ में स्कूटी का रजिस्ट्रेशन और बीमा तक हो चुका है। इसके बावजूद, इन स्कूटी का वितरण नहीं किया गया, जिससे छात्राओं के बीच नाराजगी बढ़ रही है।
9 महीने से डीलर के गोदाम में धूल फांक रही स्कूटी
सूत्रों के मुताबिक, इन स्कूटी को 9 महीने पहले ही टीवीएस कंपनी के एक डीलर के गोदाम में रखवा दिया गया था। लेकिन न तो टीएडी विभाग और न ही कॉलेज निदेशालय ने इन्हें वितरण करने की जिम्मेदारी ली। यह लापरवाही छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ मानी जा रही है।
सरकार की मंशा पर उठ रहे सवाल
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार इस योजना को लेकर गंभीर है? क्या स्कूटी का वितरण केवल चुनावी वादा बनकर रह गया है? जब स्कूटी खरीद ली गई, रजिस्ट्रेशन हो चुका, तो छात्राओं को उनका हक क्यों नहीं दिया जा रहा? विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बता रहा है, वहीं छात्राएं हताश होकर जवाब मांग रही हैं।
अब क्या करेगी सरकार?
उच्च शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में कहा कि मामले की जांच चल रही है और जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई होगी। लेकिन सवाल यह है कि जब छात्राओं को स्कूटी मिलनी चाहिए थी, तब जांच क्यों नहीं की गई? अब देखना होगा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेती है या फिर छात्राओं को सिर्फ आश्वासन देकर समय निकालने की कोशिश करती है।