जो राम का विरोध करते हैं, उन्हें अपनी सोच बदलनी चाहिए,’ डोटासरा को राठौड़ की नसीहत

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Madan Rathore Statement

Madan Rathore Statement: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के बयान का कड़ा विरोध करते हुए उन्हें संविधान और राष्ट्र के असल मुद्दों पर ध्यान देने की सलाह दी। डोटासरा ने राठौड़ पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी के नेता हमेशा संवैधानिक सवालों से भागते हैं (Madan Rathore Statement) और केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द राजनीति करने में लगे रहते हैं। डोटासरा ने सवाल उठाया कि क्या बीजेपी के पास कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है, सिवाय राम मंदिर और मोदी के चित्र के?

राठौड़ का डोटासरा पर पलटवार: “स्वाभिमान का मुद्दा है राम मंदिर, आलोचना बर्दाश्त नहीं”

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने डोटासरा के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए राम मंदिर के निर्माण को भारतीय स्वाभिमान और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। राठौड़ ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक कार्य नहीं था, बल्कि यह भारतीय जनता के स्वाभिमान का प्रतीक था, जो लंबे समय से प्रतीक्षारत था। उन्होंने डोटासरा को सलाह दी कि उन्हें इस मुद्दे पर संवेदनशीलता से सोचने की जरूरत है और अपने पूर्वजों और भारतीय संस्कारों का सम्मान करना चाहिए।

गणतंत्र दिवस पर पार्टी राजनीति में ताजा मोड़, संविधान के व्याख्याकार बने नेता

गणतंत्र दिवस के मौके पर दोनों नेताओं के बीच संविधान की व्याख्या को लेकर विवाद उभर कर सामने आया है। डोटासरा ने बीजेपी के नेताओं के बयान और उनके पार्टी कार्यक्रमों में मोदी के व्यक्तित्व का ज्यादा प्रचार करने पर भी सवाल उठाया। राठौड़ ने इस बयान का जवाब देते हुए कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को बोलने की स्वतंत्रता दी है, लेकिन उनका मानना है कि नेताओं को सरकार के विकास कार्यों में सहयोग करना चाहिए और जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

बीजेपी और कांग्रेस के बीच संविधान और संस्कृति को लेकर गहरा मतभेद

डोटासरा और राठौड़ के बीच यह विवाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच बढ़ते राजनीतिक मतभेदों को और भी उजागर करता है। संविधान, संस्कृति और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे अब सियासी लड़ाई का हिस्सा बन गए हैं, जिससे इन दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच विचारों की टकराव साफ दिखाई दे रही है। इस वाकयुद्ध ने राजस्थान की राजनीति को एक नई दिशा में ला खड़ा किया है, जहां दोनों पक्ष अपनी विचारधारा को जनता तक पहुंचाने के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।

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