Bangladesh crisis: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने देश की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, “देश के अंदर और बाहर युद्ध जैसे हालात हैं, हम फिर से गुलामी की ओर धकेले जा रहे हैं।” यह बयान ऐसे समय आया है जब बांग्लादेश की राजनीति उथल-पुथल से गुजर रही है।
12 मई को सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे देश में तनाव और बढ़ गया। यूनुस ने नेताओं की बैठक (Bangladesh crisis)में कहा कि स्थिति को स्थिर करने की कोशिशें जारी हैं लेकिन कोई ठोस समाधान निकलता नहीं दिख रहा।
राजनीतिक टकराव और हिंसा का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि अवामी लीग और BNP समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हो सकती हैं। विपक्षी BNP जल्द चुनाव की मांग कर रही है, जबकि सरकार चुनाव को 2026 तक टालना चाहती है।
चुनाव की तारीख को लेकर टकराव
BNP दिसंबर 2025 में चुनाव चाहती है, वहीं यूनुस ने दिसंबर 2025 से जून 2026 के बीच चुनाव कराने की बात कही है। BNP नेता सलाहुद्दीन अहमद ने नई कैबिनेट बनाने की मांग रखी है। जमात-ए-इस्लामी ने फरवरी 2026 या रमजान के बाद चुनाव की बात की है।
सेना की भूमिका और लोकतंत्र पर संकट
बांग्लादेश की सेना अब राजनीति में हस्तक्षेप कर रही है। आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां ने यूनुस से मुलाकात कर दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की मांग की। क्या सेना फिर से सत्ता संभालने की तैयारी में है?
यूनुस का चीन पर इशारा?
यूनुस के “गुलामी की ओर” वाले बयान ने चीन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बांग्लादेश चीन के BRI का हिस्सा है और उस पर भारी कर्ज है। क्या चीन बांग्लादेश की संप्रभुता के लिए खतरा बन रहा है?
क्या लौटेगा बांग्लादेश में सैन्य शासन?
बांग्लादेश नाजुक मोड़ पर है। अगर जल्द चुनाव नहीं हुए, तो विपक्ष सड़कों पर उतर सकता है और सेना का हस्तक्षेप बढ़ सकता है। चीन जैसे देश इस अराजकता का फायदा उठा सकते हैं। यूनुस की चेतावनी गंभीर है: अगर राजनीतिक दलों ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो बांग्लादेश गृहयुद्ध की ओर बढ़ सकता है।