अमेरिका में ट्रंप की नीतियों के खिलाफ बगावत, 1600 शहरों में गूंजा विरोध, ‘गुड ट्रबल’ बना तूफान!

US protest

US protest: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने विवादित फैसलों और टैरिफ युद्धों के चलते अब अपने ही देश में घिर गए हैं। बीते दो दिनों से अमेरिका के कई शहरों में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। अमेरिकी नागरिक ट्रंप की नीतियों के( US protest) खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने बैनर, पोस्टर और नारों के ज़रिए अपना असंतोष व्यक्त किया है।

50 राज्यों में फैला ‘गुड ट्रबल लाइव्स ऑन’ आंदोलन

गुड ट्रबल लाइव्स ऑन’ नामक विरोध आंदोलन ने अमेरिका के सभी 50 राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। न्यूयॉर्क में, प्रदर्शनकारियों ने ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट) कार्यालय के बाहर एक चौराहे को अवरुद्ध कर विरोध प्रदर्शन किया। यह आंदोलन ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर असंतोष जताने का जरिया बना है।

इमिग्रेशन विरोधियों का ICE कार्यालय के बाहर धरना

न्यूयॉर्क के मैनहैटन स्थित फेडरल प्लाज़ा में ICE भवन के बाहर भी प्रदर्शनकारियों ने चौराहे पर बैठकर रास्ता बंद किया। उन्होंने ‘गुड ट्रबल लाइव्स ऑन’ की तख्तियां लेकर ट्रंप की इमिग्रेशन नीतियों का विरोध किया।

1600 स्थानों पर हुआ विरोध प्रदर्शन

यह आंदोलन केवल कुछ शहरों तक सीमित नहीं रहा। ट्रंप प्रशासन के खिलाफ यह विरोध अमेरिका के 1600 से अधिक स्थानों पर हुआ, जिसमें अटलांटा (जॉर्जिया), सेंट लुइस (मिसौरी), ओकलैंड (कैलिफोर्निया) और एनापोलिस (मैरीलैंड) जैसे शहर शामिल थे। प्रदर्शन का एक उद्देश्य दिवंगत कांग्रेस नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता जॉन लुईस को श्रद्धांजलि देना भी था।

क्या है ‘गुड ट्रबल’ आंदोलन?

‘गुड ट्रबल’ आंदोलन का नाम जॉन लुईस की उस अंतिम अपील से प्रेरित है, जिसमें उन्होंने अमेरिकी नागरिकों से कहा था: “अच्छी परेशानी में पड़ो, ज़रूरी परेशानी में पड़ो और अमेरिका की आत्मा का उद्धार करो।” जॉन लुईस अमेरिका के प्रमुख नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं में से एक थे और उनके विचारों को यह आंदोलन आगे बढ़ा रहा है।

प्रदर्शनकारियों की प्रतिक्रिया

पब्लिक सिटीजन संगठन की सह-अध्यक्ष लीसा गिल्बर्ट ने कहा, “हम देश के इतिहास के सबसे कठिन समय से गुजर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन में बढ़ता अधिनायकवाद और अराजकता हम सभी के लिए चुनौती बन चुका है। यह आंदोलन मानवाधिकारों के हनन और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हो रहे हमलों के खिलाफ एकजुट प्रतिक्रिया है।”

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