H-1B visa fee: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा धारकों के लिए लागू की गई नई फीस नीति ने अमेरिकी और भारतीय तकनीकी कर्मचारियों के बीच हलचल मचा दी है। ट्रंप के इस फैसले के तहत, 21 सितंबर से H-1B वीज़ा पर सालाना फीस ₹88 लाख (1 लाख डॉलर) कर दी गई है। (H-1B visa fee)इस फैसले का सबसे ज्यादा असर टेक कर्मचारियों पर पड़ा है।
क्यों मची अफरा-तफरी?
इस नए नियम के तहत, जो भी H-1B वीज़ा धारक 21 सितंबर के बाद अमेरिका में प्रवेश करेगा, उसकी कंपनी को हर साल ₹88 लाख की फीस देनी होगी। यह कदम उन हजारों भारतीय तकनीकी कर्मचारियों पर सीधा असर डाल रहा है, जो अभी अमेरिका में नहीं हैं। कई कंपनियों ने इस नियम से बचने के लिए अपने कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर अमेरिका लौटने का आदेश दिया है।
फ्लाइट किराए में भारी उछाल
इस ऐलान के बाद, भारत से अमेरिका जाने वाली फ्लाइट्स के किराए में अचानक वृद्धि हो गई है। दिल्ली से न्यूयॉर्क का किराया जहां पहले ₹37,000 के आसपास था, वहीं अब यह ₹70,000 से ₹80,000 तक बढ़ गया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने बताया कि किराए में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है।
अमेरिका में स्थिति
अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर भी इस फैसले के बाद अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली। 21 सितंबर की डेडलाइन के बाद, कई H-1B वीज़ा धारकों ने अपनी फ्लाइट्स कैंसिल कर दी हैं और विमान से उतर गए हैं, ताकि उन्हें भारी फीस से बचा जा सके। अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और जेपी मॉर्गन जैसी बड़ी कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों से जल्द से जल्द लौटने का आग्रह किया है।