क्यों बढ़ा टैरिफ — निर्यात प्रतिबंध और सुरक्षा चिंताएँ
टैरिफ में वृद्धि का एक बड़ा कारण चीन द्वारा रेयर अर्थ मटेरियल्स (दुर्लभ खनिज) के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध और हालिया कदम बताए जा रहे हैं। ये सामग्रियाँ उच्च तकनीक उपकरणों, इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा उपकरणों के निर्माण में अहम हैं। अमेरिकी प्रशासन ने 1 नवंबर से लागू किए जाने वाले और सॉफ्टवेयर/तकनीकी उत्पादों पर नियंत्रण की भी बातें की हैं।
भारत को कैसे फायदा हो सकता है?
यदि चीन से आयातित वस्तुओं पर कुल शुल्क 130% (मौजूदा ~30% + नया 100%) तक पहुंचता है, तो अमेरिकी बाजार में चीनी माल महंगा हो जाएगा। इसके मुकाबले भारत से आने वाले उत्पादों पर अभी तक अपेक्षाकृत कम शुल्क हैं — जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक फायदा बन सकता है।
किस सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होगा?
- टेक्सटाइल और गारमेंट: चीन के महँगे होने पर अमेरिकी रिटेलर्स भारत की ओर ऑर्डर बढ़ा सकते हैं।
- खिलौना उद्योग: भरोसेमंद सप्लायर के रूप में भारत की मांग बढ़ सकती है।
- फुटवियर और स्पोर्ट्स आइटम्स: चीनी सप्लाई में कटौती से भारत के निर्माताओं को अवसर मिलेंगे।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और होम एप्पलायंसेज: PLI जैसी सरकारी योजनाएँ भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ा रही हैं, जिससे हिस्सेदारी बढ़ सकती है।
- सोलर पैनल्स और ऊर्जा उपकरण: अमेरिका में हरित ऊर्जा उपकरणों की मांग के चलते भारत के लिए मौका है।
भारत के अतिरिक्त निर्यात संभावनाएँ
विशेषज्ञों और व्यापार निकायों के अनुमान के अनुसार, इस परिस्थितियों में भारत के अतिरिक्त निर्यात में अरबों डॉलर का इजाफा हो सकता है — बशर्ते भारतीय निर्यातक गुणवत्ता, समय पर डिलीवरी और प्रतिस्पर्धी कीमतें सुनिश्चित करें।
दूसरे प्रभावित देश और आपूर्ति शृंखला पर असर
चीन पर टैरिफ का असर केवल भारत तक सीमित नहीं रहेगा। मेक्सिको, कनाडा, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देश भी आपूर्ति शृंखला के कारण प्रभावित होंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी से जुड़े सेक्टरों में लागत वृद्धि और सप्लाई-स्ट्रेस देखने को मिल सकता है।
वैश्विक आर्थिक प्रभाव
ग्लोबल थिंक-टैंक्स का मानना है कि टैरिफ से EVs, सेमीकंडक्टर पार्ट्स और विंड टर्बाइन जैसे क्षेत्रों में कच्चे माल व पार्ट्स की कीमतों में वृद्धि होगी। यह निर्माण लागत को बढ़ाकर नवप्रवर्तन और विकास पर असर डाल सकता है।
अवसर और चुनौतियाँ दोनों हैं
अमेरिका-चीन व्यापारिक तनाव और उच्च टैरिफ से भारत के लिए बड़े अवसर खुल सकते हैं, पर साथ ही वैश्विक आपूर्ति-शृंखला में व्यवधान, कीमतों में उछाल और दीर्घकालिक रणनीति चुनौतियाँ भी खड़ी कर सकते हैं। नीति निर्माताओं और व्यापारियों के लिए अब जरूरी है कि वे आपूर्ति क्षमता बढ़ाएँ, गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करें और तेजी से बाजार के अवसरों का लाभ उठाएँ।