PM Modi Japan Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर टोक्यो पहुँच चुके हैं। यह उनकी पिछले सात वर्षों में जापान की पहली एकल द्विपक्षीय यात्रा है और इसे दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक तथा वैश्विक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिहाज़ से अहम माना जा रहा है। (PM Modi Japan Visit)इस यात्रा का एजेंडा केवल समझौतों तक सीमित नहीं है….प्रधानमंत्री मोदी और जापानी नेतृत्व के बीच व्यापार, निवेश, उन्नत प्रौद्योगिकी सहयोग के साथ-साथ एशिया में स्थिरता और संतुलन जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होने वाली है। विशेष रूप से अमेरिका-चीन व्यापार तनाव की पृष्ठभूमि में दोनों पक्षों का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण रहेगा।
व्यापारिक बैठक और शिखर सम्मेलन
स्थानीय समयानुसार प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह 10:30 से 11:10 बजे तक एक व्यापारी-समारोह में हिस्सा लेंगे, जहां दोनों देशों के उद्योगपतियों के साथ उन्नत टेक्नोलॉजी, निवेश और व्यापार के नए अवसर पर चर्चा होगी। इसके बाद वे जापानी गणमान्यों से भेंट करेंगे और शोरिंज़न-धरमाजी ज़ेन बौद्ध मंदिर का दौरा करेंगे। दोपहर 2:30 से 5:15 बजे तक भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
शिंकानसेन साझेदारी पर चर्चा की संभावना
यात्रा के दौरान भारत में शिंकानसेन (E10) बुलेट ट्रेन निर्माण की साझेदारी की संभावनाओं पर भी बातचीत हो सकती है — यह पहल बुनियादी ढांचा और तकनीकी सहयोग को और मजबूती दे सकती है।
व्यापार आंकड़े — सहयोग की मजबूत नींव
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली नौ माह में भारत-जापान द्विपक्षीय व्यापार लगभग 21 अरब डॉलर तक पहुँच गया। जापान भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा FDI स्रोत रहा है — अब तक कुल लगभग $43.2 अरब के निवेश का योगदान दर्ज है। ऐसे आँकड़े द्विपक्षीय संबंधों के आर्थिक आधार को उजागर करते हैं।
सांस्कृतिक पल — जापान में हिंदी प्रेम दिखा
प्रधानमंत्री के स्वागत के दौरान जापानी कलाकारों की ओर से हिंदी में अभिवादन का नज़ारा भी दिखा — एक जापानी कलाकार ने कहा कि वे अपने छात्रों के साथ पीएम का हिंदी में स्वागत करेंगी और “पधारो म्हारे देस” बोलेंगी। यह दृश्य दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक रहा।
जापान के बाद चीन का रुख — SCO शिखर सम्मेलन
टोक्यो दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त — 1 सितंबर को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने जाएंगे। इस सम्मेलन में उनकी संभावित मुलाकातें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी हो सकती हैं। मोदी ने कहा है कि भारत SCO का सक्रिय और रचनात्मक सदस्य रहा है और इन दौरों से राष्ट्रीय हितों तथा क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
क्या हासिल होगा
- व्यापार-विनियमन और नई निवेश परियोजनाओं पर समझौते संभव।
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, जैसे बुलेट ट्रेन पर प्रगति।
- क्षेत्रीय रणनीतिक समन्वय और बहुपक्षीय मंचों में सहयोग का सशक्तकरण।