ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति

इस शपथ-ग्रहण समारोह को खास बना रहा है कि पहली बार किसी भारतीय CJI के शपथ-ग्रहण में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल शामिल होगा। रिपोर्टों के अनुसार भूटान से लेकर श्रीलंका तक 6 देशों के एक दर्जन से अधिक मुख्य न्यायाधीश और शीर्ष न्यायाधीश समारोह में उपस्थित रहेंगे — यह भारतीय न्यायपालिका के वैश्विक संपर्कों और सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है।

कानूनी मीडिया के अनुसार इन विदेशी प्रतिनिधिमंडलों में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, नेपाल और श्रीलंका के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट/सर्वोच्च न्यायालय के जज शामिल होंगे, जिनके साथ न्यायिक संवाद और सहयोग के नए द्वार खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।

गवईकाल की प्रमुख विरासत

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के कार्यकाल के दौरान कई अहम निर्णय और सार्वजनिक बयान चर्चित रहे। गवई ने विशेष रूप से “बुलडोजर न्याय” के विरुद्ध अपने निर्णय को अपने कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक बताया और कहा कि इसके जरिए न्याय और कानून के शासन की रक्षा की गई। उनके इस दृष्टिकोण ने संवैधानिक अधिकार-आधारित तर्कों और आश्रय के अधिकार पर नई बहस को जन्म दिया।

शपथ-ग्रहण समारोह न केवल एक औपचारिक प्रक्रिया है, बल्कि यह न्यायिक स्वतंत्रता, अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सहयोग और संवैधानिक संस्थाओं के बीच सम्मान को भी दर्शाता है। विदेशी न्यायाधीशों की उपस्थिति से न्यायिक संवाद और अनुभव साझा करने के अवसर बढ़ेंगे—विशेषकर न्यायिक सुधार, अदालत प्रबंधन और अनुकरणीय कार्रवाइयों के संदर्भ में।