Supreme Court decision: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के तहत एक महत्वपूर्ण विवादित नियम पर रोक लगा दी है। यह नियम कहता था कि कोई भी व्यक्ति वक्फ तभी बना सकता है, जब वह कम से कम पांच साल से इस्लाम का अनुयायी हो। (Supreme Court decision)सुप्रीम कोर्ट ने इसे फिलहाल रोक दिया है। अदालत ने कहा कि अब तक यह तय करने का तरीका नहीं है कि कोई पांच साल से मुस्लिम है या नहीं, इसलिए इसे रोकना जरूरी था।
गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर भी अपनी टिप्पणी दी है। उच्च न्यायालय ने कहा कि वक्फ बोर्ड में तीन से ज्यादा और चार से कम सदस्य नहीं हो सकते। इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन की समय सीमा बढ़ाई गई है, लेकिन उस प्रावधान पर रोक नहीं लगी। कोर्ट ने एक अहम फैसला लेते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार नहीं मिल सकता कि कोई संपत्ति सरकारी है या वक्फ। ऐसा करना शक्ति बंटवारे के सिद्धांत के खिलाफ माना गया है।
वक्फ बोर्ड क्या है?
वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है, जो मुस्लिम समाज की ओर से दान या सेवा के लिए दी गई जमीन और संपत्तियों की देखभाल करता है। इनमें मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसे, दरगाह, स्कूल, दुकानें और खेती की जमीन जैसे स्थान शामिल होते हैं। इनका इस्तेमाल धार्मिक और सामाजिक भलाई के कामों के लिए किया जाता है। फिलहाल देश में 30 राज्य वक्फ बोर्ड हैं, जो लगभग 8.7 लाख संपत्तियों की देखरेख करते हैं। यह संपत्तियां करीब 9.4 लाख एकड़ जमीन पर फैली हैं। इनकी मार्केट वैल्यू का अनुमान 1.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। जमीन के हिसाब से वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा मालिक है, रेलवे और आर्म्ड फोर्सेज के बाद।