Rajasthan News: जयपुर-अजमेर हाईवे से 3 किलोमीटर अंदर बसे नन्दलालपुरा गांव में करीब 150 परिवार रहते हैं। यहां महिलाओं और लड़कियों का अकेले घर से बाहर निकलना मुश्किल है।(Rajasthan News) कहीं भी जाने के लिए पुरुषों का साथ जरूरी होता है। गांव की बदनामी का असर इतना है कि यहां के लोगों को शादी के लिए अपना असली गांव का नाम तक छिपाना पड़ता है।
देह व्यापार के कारण पूरे गांव पर बदनामी का असर
गांव के कुछ हिस्सों में पिछले 50-55 साल से देह व्यापार हो रहा है। यही कारण है कि नन्दलालपुरा पूरे राजस्थान में बदनाम हो गया। हालांकि, यह अवैध धंधा केवल गांव के कुछ हिस्सों तक सीमित है, लेकिन इसकी वजह से पूरे गांव को गलत नजरिए से देखा जाता है।
दिन के समय गांव में हलचल कम रहती है, लेकिन अंधेरा होते ही देह व्यापार के लिए आने-जाने वालों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। तेज रफ्तार गाड़ियां, हुड़दंग और अवैध गतिविधियों के कारण गांव के हालात और बिगड़ जाते हैं।
गांव की महिलाओं को सहनी पड़ती है अश्लील हरकतें
स्थानीय निवासी बताते हैं कि बाहरी लोग गांव में घुसते ही देह व्यापार के ठिकाने पूछते हैं और महिलाओं को गलत नजर से देखते हैं। खेतों में काम करने वाली युवतियों के साथ छेड़छाड़ करना, अश्लील बातें करना और फब्तियां कसना आम बात हो गई है।
गांव में रहने वाली महिलाएं और युवतियां सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। दिन में भी अकेले बाहर निकलने से डरती हैं। बाजार जाने के लिए परिवार के किसी सदस्य के साथ ही निकलती हैं। कई लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि उनके लिए स्कूल-कॉलेज जाना सुरक्षित नहीं रहा।
शादी में आती है दिक्कतें
गांव की बदनामी का असर यहां के युवाओं की शादी पर भी पड़ता है। लोग नन्दलालपुरा का नाम सुनते ही शादी का रिश्ता करने से इनकार कर देते हैं। मजबूरी में कई परिवार अपने गांव का नाम छिपाकर महला गांव बताकर रिश्ते तय करने की कोशिश करते हैं।
गांव में आने वाले लोग अक्सर नशे में होते हैं और झगड़े करते हैं। कई बार यह झगड़े हत्या तक पहुंच चुके हैं। महिलाएं खुद को बचाने के लिए चप्पल और पत्थर का सहारा लेती हैं। पुलिस में शिकायत करने पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
स्थायी पुलिस चौकी की जरूरत
गांव में पहले 1998 से 2008 तक पुलिस चौकी थी, जिससे अपराध कम था। लेकिन चौकी हटने के बाद हालात बिगड़ गए। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से स्थायी पुलिस चौकी की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि पुलिस चौकी फिर से स्थापित हो और नियमित गश्त हो, तो हालात सुधर सकते हैं। इससे न केवल गांव की बहू-बेटियों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि गांव की बदनामी भी दूर होगी। ग्रामीण अब प्रशासन से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।