उदयपुर में शोक का माहौल! सिटी पैलेस के संरक्षक अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन, अंतिम यात्रा सुबह 11 बजे

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Arvind Singh Mewar

Arvind Singh Mewar: मेवाड़ की ऐतिहासिक विरासत को एक और बड़ा झटका लगा है। पूर्व महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। (Arvind Singh Mewar)वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उदयपुर स्थित सिटी पैलेस में उनका इलाज चल रहा था। रविवार अल सुबह उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली, जिसके बाद पूरे मेवाड़ में शोक की लहर दौड़ गई।

मेवाड़ की आन-बान-शान का हुआ अंत

13 दिसंबर 1944 को उदयपुर के सिटी पैलेस में जन्मे अरविंद सिंह मेवाड़ न सिर्फ राजपरिवार के सदस्य थे, बल्कि मेवाड़ की गौरवशाली विरासत के संरक्षक भी थे। वह महाराणा भगवंत सिंह मेवाड़ और महारानी सुशीला कुमारी के पुत्र थे। उनके निधन से मेवाड़ राजघराने और पूरे राजस्थान को अपूरणीय क्षति हुई है।

सिटी पैलेस के संरक्षण और मेवाड़ की संस्कृति को रखा जीवित

अरविंद सिंह मेवाड़ ने मेवाड़ की संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से, उन्होंने उदयपुर के सिटी पैलेस के संरक्षण और विकास में अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी। उनके प्रयासों के चलते यह केवल एक शाही महल नहीं, बल्कि इतिहास, कला और संस्कृति का जीवंत प्रतीक बन गया।

शाही परंपराओं के अनुसार निकलेगी अंतिम यात्रा

उनका अंतिम दर्शन सोमवार, 17 मार्च को सुबह 7 बजे से कराया जाएगा। इसके बाद सुबह 11 बजे उनकी अंतिम यात्रा शाही परंपराओं के अनुसार शंभू निवास से महासतिया के लिए निकलेगी। यह यात्रा उदयपुर की ऐतिहासिक गलियों से बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार और देहली गेट होते हुए महासतिया पहुंचेगी। हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ेंगे।

पिछले साल उनके भाई का हुआ था निधन

महेंद्र सिंह मेवाड़ के छोटे भाई अरविंद सिंह पिछले कुछ समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। पिछले साल नवंबर में उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी निधन हो गया था, जिससे राजपरिवार पहले ही शोक में था। अब अरविंद सिंह के निधन ने पूरे मेवाड़ को फिर से गहरे दुख में डाल दिया है।

राजस्थान की शाही विरासत को अपूरणीय क्षति

अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन से न केवल मेवाड़, बल्कि पूरा राजस्थान एक महान व्यक्तित्व से वंचित हो गया है। उन्होंने अपने जीवन को संस्कृति, इतिहास और परंपराओं के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका योगदान हमेशा अमर रहेगा, और मेवाड़ की विरासत में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

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