जबरन धर्मांतरण पर लगाम! राजस्थान में नया कानून लागू, दोषियों को मिलेगी सख्त सजा!

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Forced Conversion

Forced Conversion: राजस्थान में जबरन धर्मांतरण (Forced Conversion) पर लगाम लगाने की दिशा में एक बहुत बड़ा और निर्णायक कदम उठाया गया है। राजस्थान विधानसभा से पारित ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक–2025’ को अब राज्यपाल हरिभाऊ बागडे (Haribhau Bagade) ने अपनी मंज़ूरी दे दी है। राज्यपाल की मुहर लगते ही, यह बिल अब एक कड़े कानून (Law) में बदल गया है। इसका सीधा मतलब है कि अब राज्य में जबरदस्ती या धोखाधड़ी से कराए गए धर्म परिवर्तन के मामलों में न सिर्फ मुकदमा दर्ज होगा, बल्कि दोषियों को कड़ी सजा भी मिलेगी।

₹50 लाख का जुर्माना और उम्र कैद तक का प्रावधान

यह नया कानून सामान्य धर्मांतरण विरोधी कानूनों से कहीं ज्यादा सख्त है। जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में कड़े प्रावधान रखे गए हैं। सामान्य जबरन धर्मांतरण के मामले में दोषी पाए जाने पर 14 साल तक की जेल और ₹5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, सामूहिक/संस्थागत धर्म परिवर्तन के केस में जुर्माने की राशि ₹50 लाख तक जा सकती है, और उम्र कैद (Life Imprisonment) तक की सज़ा का प्रावधान भी रखा गया है।

क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत?

विधानसभा ने यह धर्मांतरण विरोधी बिल पिछले मानसून सत्र में पारित किया था। बिल पारित होने के दौरान सदन के अंदर और बाहर विपक्ष के कुछ सदस्यों ने सवाल भी उठाए थे कि “ऐसी कौन सी परिस्थितियां बन रही हैं कि इस तरह का सख्त कानून तुरंत लाने की ज़रूरत पड़ गई?” हालांकि, विधेयक पारित होने के बाद ही श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और कुछ आदिवासी क्षेत्रों से धर्म परिवर्तन की कई खबरें सामने आई थीं, जिसने इन सवालों को दरकिनार कर दिया और कानून की जरूरत पर मुहर लगा दी। ऐसा माना जा रहा था कि कुछ ताकतें प्रदेश में धर्म परिवर्तन की गतिविधियों को तेज कर रही हैं, जिसके बाद सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है।

‘घर वापसी’ को मिली राहत, लेकिन जबरदस्ती नहीं चलेगी

इस नए कानून का एक महत्वपूर्ण और राहत भरा पहलू है ‘घर वापसी’ का प्रावधान। सरकार ने विधेयक में स्पष्ट किया है कि यह कानून केवल जबरन, धोखे से, या लालच देकर कराए गए धर्म परिवर्तन को ही गैरकानूनी मानता है। कानून कहता है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से और बिना किसी दबाव के अपने मूल धर्म में वापस लौटना चाहता है, तो ‘घर वापसी’ के मामलों में यह कानून कोई बाधा नहीं बनेगा। यानी, कानून का लक्ष्य किसी की धार्मिक स्वतंत्रता को रोकना नहीं है, बल्कि जबरदस्ती और धोखाधड़ी पर लगाम लगाना है।

आखिरकार क्या होगा असर?

इस कानून के लागू होने से अब उन लोगों पर शिकंजा कसेगा जो गरीबों को लालच देकर, डर दिखाकर, या शादी का झांसा देकर उनका धर्म परिवर्तन कराते थे। कानूनी जानकारों का मानना है कि ₹50 लाख का भारी जुर्माना और उम्र कैद जैसी सजाएं ऐसे अपराधों को रोकने में ‘डिटरेंट’ (बाधा) का काम करेंगी। प्रदेश में अब धर्मांतरण के मामलों पर पुलिस सीधे FIR दर्ज करके कार्रवाई कर सकेगी। लोगों की नजरें अब इस बात पर हैं कि यह नया कानून ज़मीनी स्तर पर कितना प्रभावी साबित होता है।

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