Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तीन दिनों तक भारी संघर्ष चला, जिसमें सीमा पर जबरदस्त तनाव बना रहा। लेकिन अचानक 10 मई की शाम को सीजफायर की घोषणा के साथ ही दोनों ओर से गोलीबारी और हवाई हमले थम गए। (Operation Sindoor)इस अप्रत्याशित शांति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब पाकिस्तान अब अपने ही बयान से पलट गया है।
पाकिस्तान ने ही सीजफायर का अनुरोध किया
भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की ओर से ही सीजफायर का प्रस्ताव आया था। उन्होंने कहा, “10 मई को मुझे हॉटलाइन के जरिए संदेश मिला कि पाकिस्तान के DGMO मुझसे बात करना चाहते हैं। उसी दिन 15:35 बजे बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा। हमने आपसी सहमति से इसे स्वीकार किया।”
सीमाओं पर रुकी गोलाबारी
सीजफायर के बाद 10 मई की शाम से सीमापार गोलाबारी बंद हो गई थी, और 12 मई को इसे आगे बनाए रखने के लिए फिर से बातचीत की योजना बनी। लेकिन डीजीएमओ घई ने कहा, “यह शांति निराशाजनक रूप से अल्पकालिक रही। कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी और ड्रोन घुसपैठ कर सीजफायर का उल्लंघन किया।”
भारत की चेतावनी –
घई ने स्पष्ट किया, “हमने एक और हॉटलाइन संदेश भेजकर पाकिस्तान को उल्लंघनों के बारे में सूचित किया है। हमने यह भी कहा है कि अगर फिर ऐसा हुआ, तो हम इसका करारा जवाब देंगे। हमारे सेना कमांडर को इस पर निर्णायक कार्रवाई के पूरे अधिकार दिए गए हैं।”
पाकिस्तान का पलट बयान
अब पाकिस्तान अपने ही बयानों से मुकर रहा है। ISPR (Inter-Services Public Relations) के महानिदेशक अहमद शरीफ चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया, “रिकॉर्ड में है कि पाकिस्तान ने कभी भी सीजफायर का अनुरोध नहीं किया।” उन्होंने कहा कि 6-7 मई की रात को भारतीय हमलों के बाद भारत की ओर से यह अनुरोध आया था और हमने केवल उचित जवाब देने के बाद इस पर प्रतिक्रिया दी।
अंतरराष्ट्रीय दबाव में हुई कार्रवाई?
चौधरी ने आगे कहा, “10 मई को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों के हस्तक्षेप के बाद हमने भारत के अनुरोध का जवाब दिया।” पाकिस्तान का यह दावा भारत की स्थिति के एकदम विपरीत है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों पक्षों की बातों में गंभीर असहमति है। इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर पाकिस्तान की मंशा और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। पहले सीजफायर का प्रस्ताव देना, फिर उसका उल्लंघन करना और अब साफ इंकार – यह सब दिखाता है कि पाकिस्तान शांति बनाए रखने के बजाय भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।