जम्मू: क्या पाकिस्तान में फिर ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाई (India Pakistan Tension)का खतरा मंडरा रहा है? सीमा सुरक्षा बल (BSF) के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने सीमा के पास स्थापित कई आतंकी लॉन्चपैड को अंदरूनी इलाकों में स्थानांतरित कर दिया है—कुल मिलाकर लगभग 72 से अधिक लॉन्चपैड सक्रिय बताए जा रहे हैं।

बीएसएफ की जानकारी और तैयारियाँ

BSF के डीआईजी विक्रम कुंवर ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई लॉन्चपैड नष्ट कर दिए गए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने इन केंद्रों को भीतर के इलाकों में शिफ्ट कर दिया। कुंवर ने बताया कि लगभग 12 लॉन्चपैड सियालकोट और जफरवाल के आसपास सक्रिय हैं, जबकि अन्य 60 भीतर के विभिन्न इलाकों में हैं।

इसी अवसर पर जम्मू फ्रंटियर के आईजी शशांक आनंद ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार ऑपरेशन सिंदूर का दूसरा दौर शुरू करने का निर्णय लेती है, तो BSF पूरी तरह तैयार है और दुश्मन को भारी क्षति पहुंचाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ को पारंपरिक लड़ाई और हाइब्रिड युद्ध का व्यापक अनुभव है।

लॉन्चपैड कैसे काम करते हैं?

डीआईजी कुंवर के अनुसार, ये लॉन्चपैड हमेशा स्थायी नहीं होते; ये तब सक्रिय होते हैं जब आतंकियों को सीमा पार घुसाने या हमला करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि पहले अलग-अलग इलाकों में अलग संगठन सक्रिय होते थे, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवादी समूहों ने मिलकर ‘मिश्रित समूह’ बनाया है ताकि संयुक्त रूप से प्रशिक्षण और गतिविधियाँ संचालित कर सकें।

सीमाई सुरक्षा और निगरानी

अधिकारियों ने कहा कि अभी सीमा के पास किसी बड़े ट्रेनिंग कैंप की खबर नहीं है और फिलहाल आतंकवादियों की कोई बड़ी हलचल नजर नहीं आ रही। बीएसएफ ने यह भी कहा कि वे 7–10 मई के दौरान चार दिनों तक चली कार्रवाई को लेकर बनी सहमति का सम्मान कर रहे हैं। वहीं, सीमा के पास पाकिस्तान की हर गतिविधि पर बल की पैनी नजर बनी हुई है और आवश्यकतानुसार कार्रवाई की जाएगी।

ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ

ऑपरेशन सिंदूर अप्रैल में की गई उस सैन्य प्रतिक्रिया का नाम है जो पहलगाम नरसंहार के बाद उठी थी—उस नरसंहार में 26 लोगों की मौत हुई थी। ऑपरेशन के दौरान BSF ने सीमा पार कई आतंकियों और लॉन्चपैड्स पर कार्रवाई की थी, जिससे पाकिस्तान को गोलबंदी और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए अपने संसाधन भीतर ले जाने पड़े।