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कैसे हुआ घनघोर फर्जीवाड़ा?
पुलिस के अनुसार, अब्दुल रहमान ने किसी महिला के निर्वाचन कार्ड (No. TBM0139873) को स्कैन कर उसका संपादन कर वर्ष 2007 में फर्जी पहचान बनवाई। इसके बाद 2016 में इसी नकली पहचान के आधार पर आधार कार्ड बनवाया गया। इस दस्तावेज़ी जालसाजी के माध्यम से उसने जमीन को बैनामा कराकर सिर्फ तीन लाख रुपये में बेच दिया।
प्रशासन ने जताई चिंता
खुलासे के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। जमीन के असली वारिस राम पियारे ने बताया कि उनके भाई राम दुलारे की मौत 30 साल पहले हुई थी। जब उन्हें मालूम पड़ा कि उनकी भूमि के फर्जी कागजात बनवाकर बैनामा कर दिया गया है, तो उन्होंने निबंधन कार्यालय और न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पुलिस अधीक्षक ने मामला गंभीर बताया और इसे सीओ रुधौली स्वर्णिमा सिंह को जांच के लिए सौंपा गया है।
शिकायत और कानूनी धाराएँ
पुलिस ने बताया कि यह मामला फर्जी पहचान पत्र बनवाना, धोखाधड़ी, जालसाजी, मृतक का प्रतिरूपण करते हुए जमीन की अवैध बिक्री और साजिश से जुड़ा है। जांच एजेंसियाँ यह भी पता लगा रही हैं कि अब्दुल का सम्बन्ध किन-किन लोगों से रहा और उसने किन-किन दस्तावेज़ों का दुरुपयोग किया।
जांच में यह भी पता चला कि अब्दुल ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए भी आवेदन किया था, और सत्यापन के दौरान उसने गुजरात का आधार नंबर—900494491819—प्रदान कर दिया था। बाद में जब फर्जीवाड़ा उजागर हुआ तो उसने ठिकाना बदल दिया।
