Operation Sindoor: हाल ही में इंटरनेट पर एक नई चर्चा ने जोर पकड़ा, जिसमें दावा किया गया कि चीन का सबसे बड़ा सैन्य मालवाहक विमान Y-20 पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। हालांकि, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसे “निराधार और भ्रामक” बताया है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और पोस्टों में कोई सच्चाई नहीं है।(Operation Sindoor) इन सभी तस्वीरों पर “अफवाह” की मुहर लगा दी गई है, और वायुसेना ने स्पष्ट किया कि इस तरह की झूठी सूचनाएं फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति
यह खंडन उस समय आया जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी और दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोक दी। इस घटनाक्रम ने बीजिंग की प्रतिक्रिया को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है, क्योंकि चीन और पाकिस्तान के बीच दशकों से गहरे सामरिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं।
पाकिस्तान के हथियार आयात पर चीन का दबदबा
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से 2024 तक पाकिस्तान द्वारा आयात किए गए कुल हथियारों में से 81% चीन से प्राप्त हुए हैं। इनमें आधुनिक फाइटर जेट्स, रडार सिस्टम, पनडुब्बियां, नौसेनिक जहाज़ और मिसाइलें शामिल हैं। इसके अलावा, JF-17 फाइटर जेट्स जैसे हथियार चीन और पाकिस्तान की संयुक्त परियोजना का हिस्सा हैं, जो अब पाकिस्तान की वायुसेना की रीढ़ बन चुके हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ा तनाव
भारत ने 6 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान की ओर से किसी भी जवाबी कार्रवाई का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इसी दौरान, चीन के सरकारी मीडिया ने पाकिस्तान के दावों को प्रमुखता से दिखाया, जिसमें कथित तौर पर भारत के विमान को गिराने की बात भी शामिल थी। इस पर बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने चीन को आगाह किया कि संवेदनशील सैन्य घटनाओं से जुड़ी किसी भी जानकारी को सोशल मीडिया पर साझा करने से पहले उसकी पुष्टि करना जरूरी है।
चीन का मध्यस्थता की पेशकश
चीन ने कूटनीतिक रूप से कहा कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में मध्यस्थता या ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाने को तैयार है, ताकि दोनों देशों के बीच शांति कायम रखी जा सके। हालांकि, क्षेत्रीय हालात को देखते हुए यह स्पष्ट है कि चीन खुद को सार्वजनिक रूप से तटस्थ दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसके सैन्य सहयोग और हथियार आपूर्ति की गहराई भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।