India-China Tensions: भारत-चीन के बीच एक बार फिर तनाव की स्थिति बन गई है। इस बार भी केंद्र में है अरुणाचल प्रदेश, जिस पर चीन ने फिर से बेबुनियाद दावा ठोका है। हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों के नाम बदलने की कोशिश की, जिस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है। ( India-China Tensions)भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन की इस हरकत को सिरे से खारिज करते हुए दो टूक कहा है कि “नाम बदलने से जमीन की हकीकत नहीं बदलती।” मंत्रालय ने दोहराया कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा।
विदेश मंत्रालय का तीखा जवाब
बुधवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “चीन की यह बार-बार की गई कोशिश न सिर्फ व्यर्थ है बल्कि हास्यास्पद भी है। इस तरह के नाम बदलने के प्रयासों को भारत सिरे से खारिज करता है। इससे यह तथ्य नहीं बदल सकता कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य हिस्सा है।”
चीन की पुरानी चाल, भारत का अटल रुख
चीन लंबे समय से नाम बदलने की रणनीति के जरिए अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को मजबूत दिखाने की कोशिश करता रहा है।
- 2017 में 6 स्थानों के नाम बदलने की सूची जारी की गई।
- 2021 में 15 नए नाम जोड़े गए।
- 2023 में 11 स्थानों को नया नाम दिया गया।
- 2024 में अप्रैल में चीन ने सबसे बड़ी सूची—30 स्थानों के नाम—घोषित की।
इन सब प्रयासों के माध्यम से चीन यह दिखाने की कोशिश करता है कि अरुणाचल प्रदेश पर उसका ऐतिहासिक अधिकार है, जबकि भारत ने हर बार इसे झूठा और निराधार करार दिया है।
भारत ने फिर दिखाया सख्त तेवर
भारत ने चीन के ताजा प्रयासों को खारिज करते हुए कूटनीतिक भाषा में यह स्पष्ट संदेश दिया है: “नाम बदलने से इतिहास नहीं बदला जा सकता और न ही अंतरराष्ट्रीय सीमाएं।” भारत के इस सख्त रुख को रणनीतिक हलकों में चीन को स्पष्ट चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। भारत का मानना है कि चीन की यह हरकत न केवल अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी खतरा बन सकती है।