“थप्पड़ कांड के बाद बढ़ा जुनून.. नरेश मीणा के समर्थन में गांव-गांव में लग रहे बोर्ड”

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Naresh Meena

Naresh Meena: टोंक जिले के समरावता गांव हिंसा प्रकरण के बाद से न्यायिक हिरासत में चल रहे नरेश मीणा के प्रति युवाओं में जबरदस्त समर्थन देखा जा रहा है। (Naresh Meena)बीते तीन महीने से जेल में बंद नरेश मीणा गरीबों और किसानों के लिए संघर्ष करने वाले नेता के रूप में उभरे हैं। अब लोग उन्हें आज का भगत सिंह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं।


उपचुनाव और थप्पड़ कांड ने बनाया चर्चित चेहरा

देवली-उनियारा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चर्चित रहने वाले नरेश मीणा उस वक्त सुर्खियों में आए, जब समरावता गांव में मतदान बहिष्कार के दौरान एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ मारने की घटना हुई। इस घटना और उसके बाद के आंदोलनों ने नरेश को रातों-रात एक चर्चित नेता बना दिया।


गांव-गांव में लग रहे हैं नरेश के बोर्ड

नरेश के समर्थकों ने गांव-गांव में उनके समर्थन में बोर्ड लगाना शुरू कर दिया है। इन बोर्डों पर भगत सिंह की तस्वीर के साथ “इंकलाब जिंदाबाद” और “नरेश मीणा का गांव” जैसे स्लोगन लिखे हुए हैं। इसकी शुरुआत समरावता गांव से हुई और अब कई अन्य गांवों तक यह पहुंच गई है। हाल ही में केदारा गांव में रोड किनारे बोर्ड लगाकर समर्थकों ने जोरदार नारेबाजी की।


युवाओं के लिए प्रेरणा बने नरेश मीणा

नरेश मीणा को भगत सिंह के रूप में देखने वाले समर्थकों का कहना है कि उन्होंने भगत सिंह को पढ़ा और सुना था, लेकिन अब उन्हें नरेश में भगत सिंह जैसा जज्बा दिखता है।
उनका कहना है कि नरेश ने हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और वह युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं।


पूरा घटनाक्रम

13 नवंबर को देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव के लोगों ने उनियारा उपखंड कार्यालय में शामिल होने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने भी इस मांग को जायज बताते हुए ग्रामीणों के साथ धरना दिया।

मतदान के दौरान जबरन वोटिंग कराने का आरोप लगाते हुए नरेश ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया। इसके बाद 14 नवंबर को पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया और 15 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया।


युवाओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता

नरेश मीणा के संघर्ष और आंदोलन के बाद उनकी लोकप्रियता में बड़ा उछाल आया है। समर्थक उन्हें गरीबों और किसानों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला नेता मानते हैं। उनका कहना है कि नरेश का यह संघर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार साबित होगा।

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