इस वर्ष मानसून सामान्य से कहीं अधिक तेज़ रहा है। नदियाँ उफान पर हैं और कई स्थानों पर पानी घरों में घुस आया है। पहाड़ी राज्यों—हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश—में लैंडस्लाइड तथा बादल फटने की घटनाओं ने भारी नुकसान पहुँचाया है। (Baba Vanga prediction) शिमला, बिलासपुर, सिरमौर, सोलन और ऊना जैसे स्थानों पर रेड अलर्ट जारी हो चुका है। पंजाब में दशकों की सबसे गंभीर बाढ़ दर्ज की गई है। नदियों के उफान से नहरें टूट गईं, हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं—किसानों तथा ग्रामीण जीवन को भारी झटका लगा है।
सितंबर में और अधिक बारिश की संभावना
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अपने मासिक पूर्वानुमान में कहा है कि सितंबर 2025 में सामान्य से लगभग 109% अधिक बारिश हो सकती है। IMD के अनुसार इस महीने की औसत वर्षा 167.9 मिमी से ऊपर रह सकती है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का ख़तरा और बढ़ जाएगा। IMD महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने पिछले चार दशकों में सितंबर माह की वर्षा तीव्रता में बढ़ोतरी का भी उल्लेख किया है।
रिकॉर्ड वर्षा और उत्तर-पश्चिम की स्थिति
अगस्त 2025 में उत्तर-पश्चिम भारत में रिकॉर्ड 265 मिमी वर्षा दर्ज की गई—यह पिछले 100 वर्षों में सबसे अधिक स्तरों में से एक है। इस कारण सितंबर में भी उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के कई हिस्सों में फ्लैश फ्लड, भूस्खलन और बाढ़ की आशंका है।
धार्मिक यात्राओं और स्थानीय जीवन पर असर
भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण अनेक धार्मिक यात्राएँ, जैसे अमरनाथ और वैष्णो देवी यात्रा, बाधित हुई हैं। राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार ने कई इलाकों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी कर सुरक्षा उपाय तेज कर दिए हैं।
मानसून सक्रियता के विज्ञानिक कारण
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मानसून की अत्यधिक सक्रियता का प्रमुख कारण लगातार आने वाले पश्चिमी विक्षोभ हैं, जो मानसून प्रवाह की दिशा और गति को प्रभावित कर रहे हैं। पश्चिमी विक्षोभ मानसून की वापसी को भी देरी में डाल रहे हैं, जिससे सितंबर भी अत्यधिक वर्षा का माह बन सकता है।
बाबा वेंगा की भविष्यवाणी पर चिंताएँ
कुछ रिपोर्टों में बाबा वेंगा की भविष्यवाणी का ज़िक्र है, जिसमें 2025 के अंत तक व्यापक प्राकृतिक आपदाओं का संकेत दिया गया है। हालांकि वैज्ञानिक समुदाय इन भविष्यवाणियों को सावधानी से देखता है—तैयारी और वैज्ञानिक चेतावनी से हानि काफी हद तक घटाई जा सकती है।
क्या जल प्रलय का ख़तरा वास्तविक है?
रिकॉर्ड वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन के मद्देनज़र चिंता समझ में आती है, पर वैज्ञानिक चेतावनी, आपदा प्रबंधन और सक्रिय तैयारी से संभावित बड़े जोखिमों को नियंत्रित किया जा सकता है। अतः पैनिक से ज्यादा ज़रूरी तत्काल तैयारी और सतर्कता है।
तैयारी व सुरक्षा निर्देश (जरूरी कदम)
- प्रशासनिक स्तर पर रेड/ऑरेंज अलर्ट का पालन और समय पर इवैक्यूएशन।
- जलनिकासी व बाढ़ नियंत्रण के त्वरित उपाय तथा नदियों के किनारे रहने वालों का स्थानांतरण।
- पहाड़ी मार्गों पर यात्रा से बचना और मानसून के दौरान चेतावनी संदेशों का पालन करना।
- स्थानीय आपदा प्रबंधन कार्यालयों तथा मौसम विभाग की ताज़ा रिपोर्टों पर लगातार नजर रखना।
- जनजागरण: मोबाइल अलर्ट, रेडियो व स्थानीय प्रसार माध्यमों के जरिये बचाव सूचनाएँ देना।