जयपुर में एक विवादित घटना में जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) की प्रवर्तन शाखा के अधिकारी अरुण कुमार पूनिया को निलंबित कर दिया गया है। कारण था — JDA द्वारा एक शिव मंदिर को अतिक्रमण के नोटिस के रूप में 21 नवंबर को नोटिस जारी करना, जो सीधे मंदिर के नाम पर भेजा गया था।

मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने पर त्वरित कार्रवाई

मामला जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के संज्ञान में आया, तो राज्य शासन ने इसे गंभीर लापरवाही और स्वेच्छाचारिता माना। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि अधिकारी का आचरण राजकार्य में जानबूझकर की गई अनदेखी के समान था, इसलिए तुरंत निलंबन का आदेश जारी किया गया। आदेश में कहा गया है कि अधिकारी ने अपने कर्तव्यों से विमुख होकर ऐसा कार्य किया जो अनुशासनहीनता का स्पष्ट संकेत है।

नोटिस का स्वरूप और स्थानीय प्रतिक्रिया

JDA ने सड़क चौड़ीकरण अभियान के तहत वैशाली नगर के उस शिव मंदिर को अतिक्रमण नोटिस जारी किया। नोटिस में मंदिर को ही प्राप्य पक्ष बताया गया और सात दिनों में जवाब मांगा गया था। स्थानीय लोगों और मंदिर प्रबंधन में जरा-सा भी सदमे और आक्रोश का माहौल देखा गया क्योंकि नोटिस किसी संस्था या प्रबंधक को नहीं, बल्कि सीधे \”शिव मंदिर\” को भेजा गया था।

क्यों की गई कार्रवाई

JDA प्रवर्तन शाखा का कहना है कि यह कार्रवाई एक याचिका से संबंधित उच्च न्यायालय के निर्देशों और जोन-7 के उपायुक्त द्वारा गांधी पथ चौड़ीकरण हेतु किए गए सर्वे के निष्कर्ष के आधार पर की गई। सर्वे में पाया गया था कि मंदिर की चारदीवारी सड़क तक फैली हुई थी, जिसे अतिक्रमण माना गया। हालांकि, नोटिस के रूप में भेजे जाने के तरीके ने सामाजिक और राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया।

आगे क्या हो सकता है?

सरकार का निलंबन त्वरित नीति-निर्णय का संकेत है, जबकि भूमि-विवाद और धार्मिक स्थलों से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता और प्रक्रियागत सावधानी की मांग बढ़ेगी। स्थानीय प्रशासन और JDA को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि कार्रवाई कानूनी रूप से सटीक और सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील हो।