Police Negligence: जालोर में 3 दिसंबर 2024 को एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के प्रयास की घटना सामने आई थी। लेकिन, जब पीड़िता की मां ने बागोड़ा थाने में मामला दर्ज करवाने की कोशिश की, तो पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। इस पर 27 दिसंबर को पीड़िता ने जालोर एसपी से शिकायत की, ( Police Negligence)फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। 4 जनवरी 2025 को पीड़िता ने कोर्ट की शरण ली, जिसके बाद 10 जनवरी को थानाधिकारी अरुण कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस की लापरवाही पर कोर्ट का कड़ा रुख
न्यायाधीश भूपेंद्र कुमार सनाढ्य ने मामले की गंभीरता को समझते हुए थानाधिकारी अरुण कुमार को आरोपी बना दिया और समन जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि घटना के 38 दिन बाद भी मामले का पंजीकरण न करना गंभीर अपराध है। पीड़िता द्वारा एसपी से शिकायत करने के बावजूद मामला दर्ज नहीं किया गया, जबकि घटना के सबूत मौजूद थे। इस पर कोर्ट ने थानाधिकारी को आरोपी मानते हुए 27 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
दुष्कर्म का प्रयास: आरोपियों की गिरफ्तारी
मामला 3 दिसंबर 2024 का है, जब नाबालिग की मां के साथ आरोपी ने मारपीट की थी। पीड़िता की मां ने आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया।
नाबालिग पीड़िता के पिता के साथियों पर दुष्कर्म का प्रयास
3 दिसंबर को आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आकर पीड़िता की मां से मारपीट करने पहुंचे थे, जबकि पीड़िता किराना की दुकान पर सामान लेने गई थी। आरोपियों ने नाबालिग को रास्ते में रोककर दुष्कर्म का प्रयास किया, लेकिन नाबालिग की मां ने शोर मचाने पर उसे बचा लिया। इसके बाद पीड़िता की मां ने थाने पहुंचकर मामला दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन थानाधिकारी ने मामले को दर्ज नहीं किया। बार-बार थाने का चक्कर लगाने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि आरोपियों ने पीड़िता को धमकाना शुरू कर दिया। इस पर पीड़िता की मां ने 27 दिसंबर को एसपी से शिकायत की, लेकिन जब फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़िता ने 4 जनवरी को कोर्ट का रुख किया।
कोर्ट का निर्णय और पुलिस की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई
कोर्ट ने थानाधिकारी को आरोपी बना दिया है और मामले की निष्पक्ष जांच की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।